रानीखेत (अल्मोड़ा) : पूर्व सैनिक हैं पिलखोली निवासी हरी सिंह नेगी! उनका जुनून ही था कि 2001 में सेना से सेवानिवृत्त होने के बाद उन्होंने पलायन करने के बजाए गांव में ही कुछ कर गुजरने की ठानी। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का जिम्मा लेते हुए पहाड़नुमा टीले को काटकर बगिया बनाई, नजदीकी स्रोतों से पानी की व्यवस्था कर वहां टैंक बनाए।
इसके साथ ही उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के लिए चौड़ी पत्ती प्रजाति के सैकड़ों पौधे लगवाए। इन पौधों को वह लोगों को निशुल्क बाँटते भी हैं।पूर्व सैनिक हरी सिंह नेगी ने बताया कि उन्होंने अपने बगीचे में पालीहाउस तो बनवाए, साथ ही मधुमक्खी पालन और मुर्गी पालन का कार्य भी शुरू किया। पाली हाउस में सब्जियों का उत्पादन किया लेकिन मुख्य रूप से पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी। उनका कहना है कि भविष्य में पानी का गंभीर संकट होने की संभावना है, इसीलिए वह पर्यावरण संरक्षण के लिए लोगों को जागरूक करते हैं और उन्हें विभिन्न प्रजातियों की पौध भी निशुल्क उपलब्ध कराते हैं।
बगीचे में काफल, बांज, क्वैराल, तेजपात, भीमल, उतीस, चंदन, बेलपत्री, पीपल, कालीमिर्च, सदाफल और सागौन के पौधे लगाए। इसके अलावा हींग, अनार, अमरूद, आम, कीवी, स्ट्रोवेरी, नींबू, माल्टा, कागजी नींबू, खुबानी, नीम, कटहल, कालीमिर्च, सदाफल आदि के पेड़ भी लगाए।
हरी सिंह नेगी का कहना है कि केंद्र और राज्य सरकारों को पहाड़ की खेती किसानी की तरफ ध्यान देना चाहिए। वन्य जीवों ने पहाड़ का पूरी तरह से उजाड़कर रख दिया है। सब्जियां और फल उत्पादन इसीलिए कम हो रहा है कि वन्य जीवों से सुरक्षा के कोई उपाय नहीं है। यदि इन पर रोक नहीं लगाई गई तो पहाड़ से पलायन नहीं रुक सकेगा।