देश का सर्वोच्च ‘राष्ट्रीय भूविज्ञान’अवार्ड भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया को मिला

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अल्मोड़ा : वरिष्ठ भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया को देश का सर्वोच्च ‘राष्ट्रीय भूविज्ञान’ अवार्ड प्रदान किया गया है। पिछले दस हजार वर्षो में हिमालयी राज्यों में कब किन कारणों से जलवायु परिवर्तन हुआ, हड़प्पा की सभ्यता के विलुप्ति के पीछे पश्चिमी विक्षोभ एवं पानी की कमी तथा प्राकृतिक झीलों व शिवलिंगों के बनने की प्रक्रिया एवं उनकी उम्र का पता लगा पहले शोध का श्रेय भी प्रो. कोटलिया को ही जाता है। इस सम्मान के लिए बीते वर्ष उनके नाम की घोषणा की गई थी।

सेंटर ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन जियोलॉजी विभाग कुमाऊं विवि में तैनात यूजीसी शोध वैज्ञानिक प्रो. कोटलिया जलवायु विज्ञान एवं क्लाइमेट चेंज विषय पर विशेष शोध तथा राष्ट्रीय भूविज्ञान अवार्ड-2018 हासिल करने वाले देश के एकमात्र वैज्ञानिक हैं। दिल्ली में गुरुवार को राष्ट्रपति की ओर से सचिव खान मंत्रालय (भारत सरकार) अनिल मुकीम व मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह सम्मान संयुक्त रूप से दिया। अवार्ड के साथ प्रो. कोटलिया को प्रशस्ति पत्र व तीन लाख रुपये की राशि बतौर पुरस्कार भेंट की गई। इससे पूर्व उत्तराखंड से यह अवार्ड प्रो. केएस वल्दिया को भी मिल चुका है।

भूगर्भ वैज्ञानिक प्रो. बहादुर सिंह कोटलिया की उपलब्धियां 

  • हिमालयी राज्य में लखुउडियार (अल्मोड़ा), पातालभुवनेश्वर समेत प्राचीन गुफाओं की खोज
  • नैनीताल, भीमताल, सातताल, नौकुचियाताल समेत उत्तराखंड में कई झीलों की खोज व शोध।
  • गाद आदि की कार्बन डेटिंग के जरिये उनकी उम्र पता लगाने वाले पहले शोध वैज्ञानिक।
  • 1988 में जर्मनी सरकार ने भूविज्ञान के क्षेत्र में प्रतिष्ठित हंबोल्ड फैलोशिप अवार्ड दिया।
  • फ्री यूनिवर्सिटी बर्लिन में बतौर विजिटिंग प्रोफेसर
  • हिमालयी राज्य में पश्चिमी विक्षोभ की महत्ता, 3100 वर्ष पूर्व हड़प्पा की सभ्यता खत्म होने व महानदी सरस्वती की विलुप्ति के पीछे पानी की कमी संबंधी शोध को पूरी दुनिया ने अपनाया।
  • चमोली में 34 हजार वर्ष पुरानी देवर झील तथा देवरिया ताल (ऊखीमठ गढ़वाल) में चार हजार साल पहले झील बनने का रहस्य भी खोला।

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