उत्तराखंड के चमोली, पिथौरागढ़ और नैनीताल जिले में बाल लिंगानुपात में पिछले साल की तुलना में गिरावट दर्ज की गई है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने तीनों जिलों में मॉनिटरिंग बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने गर्भवती महिलाओं की पहली, दूसरी व तीसरी जांच अनिवार्य रूप से कराने को कहा है।
राज्य में जन्म के समय लिंगानुपात में तो सुधार है, लेकिन तीन जिलों में गिरावट दर्ज हुई है। वर्ष 2018-19 में प्रति हजार बालकों की तुलना में 938 बालिकाओं ने जन्म लिया था, जो बढ़कर अब 949 हो गया है। राज्य के पांच जिले बागेश्वर, अल्मोड़ा, चंपावत, देहरादून और उत्तरकाशी देश के टॉप 50 जिलों में शामिल हैं। वहीं, लिंगानुपात सुधार में उत्तराखंड देश के टॉप टेन राज्यों में शुमार है। लेकिन चमोली (864), पिथौरागढ़ (887) और नैनीताल (906) का रिकार्ड खराब है। तीनों जिलों में 2018-19 की तुलना में लिंगानुपात गिरा है।
सोमवार को सचिवालय में महिला सशक्तीकरण एवं बाल विकास विभाग की राज्य स्तरीय टास्क फोर्स की बैठक में इस पर चिंता जाहिर की गई। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि तीनों जिलों पर फोकस करते हुए गहन मॉनिटरिंग की जाए।
उन्होंने मदर चाइल्ड ट्रेकिंग सिस्टम में सक्रिय भागीदारी निभाने, गर्भवती महिलाओं की तीनों जांच कराने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दूसरी तिमाही जांच बहुत ही महतत्वपूर्ण होती है, ऐसे समयावधि में गर्भपात होना अथवा जांच न कराया जाना संदिग्ध होता है। यदि गर्भपात हुआ है तो इसके कारणों की भी जांच की जानी चाहिए। बैठक में सचिव एल फैनई व अपर सचिव एचसी सेमवाल भी उपस्थित थे