उत्तराखंड आने वाले पर्यटकों के लिए बनाए गए फाइबर के खूबसूरत हट्स

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बागेश्वर। कोरोना का असर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। इसके साथ ही उत्तराखंड में पर्यटन गतिविधियां भी बढ़ने लगी हैं। नियमों में ढील दी गई तो पर्यटकों की आमद भी बढ़ने लगी। देवभूमि की नैसर्गिक खूबसूरती देखने के लिए देश ही नहीं दुनियाभर से पर्यटक पहुंचते हैं। हिमालय की खूबसूरती को करीब से निहारने की ख्वाहिश हर किसी की होती है। ऐसे में इस बार पर्यटकों की सुविधा का खासा ध्यान रखा गया है। ये जो ऊपर आप तस्वीर देख रहे हैं ये दरअसल पर्यटकों के लिए फाइबर के हट्स बनाए गए हैं। ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटक इसे कुमाऊं मंडल विकास निगम की वेबसाइट पर जाकर बुक कर सकते हैं। इसमें रहकर वे करीब से हिमालय की खूबसूरती को निहार सकते हैं।

26 करोड़ के 75 फाइबर हट्स बनाए गए

केएमवीएन ने पर्यटकों के अलावा स्थानीय लोगों को भी यात्रा मार्गों में काफी कम दरों पर आवासीय सुविधा उपलब्ध कराने का फैसला किया है। बागेश्वर और पिथौरागढ़ जिलों में पिंडारी, कफनी, सुंदरढुंगा, मिलम, रालम, आदि कई ग्लेशियर हैं। गर्मियों में हर साल काफी संख्या में पर्यटक इन ग्लेशियरों की यात्रा करते हैं। ट्रैकिंग मार्गों में आवासीय सुविधाएं उपलब्ध नहीं होने के कारण कई पर्यटक चाहकर भी ट्रैकिंग पर नहीं जा पाते थे। इसे देखते हुए कुमाऊं मंडल विकास निगम ने कैलास मानसरोवर, आदि कैलास सहित अन्य ग्लेशियर मार्गों में आवासीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए 145 फाइबर हट्स बनाए थे। इसकी लागत करीब 26 करोड़ रुपए थी।

जानिए कहां कहां बनाए गए हैं हट्स

कुमाऊं मंडल विकास निगम ने पिथौरागढ़ जिले के गुंजी, नाभिढांग, गाला, बुंदी, सिरखा, कालापानी में 10-10 हट्स बनाए है। इसके अलावा पंचाचूली बेस कैंप, विदांग, बालिंग, जौलिंगपौंग में पांच-पांच हट्स बनाए है। बागेश्वर जिले के पिंडारी, कफनी ग्लेशियर जाने वाले रास्तों में भी 45 हट्स बनाए गए हैं। इनमें सुविधाजनक बैड आदि की व्यवस्था भी की गई है।

पर्यटकों की संख्या में होगा इजाफा

यात्रा मार्गों में आवासीय सुविधा उपलब्ध हो जाने के कारण इस बार इन रूटों में ट्रैकिंग के लिए आने वाले पर्यटकों की संख्या में दो से तीन गुना तक इजाफा होने की उम्मीद है। कई लोग खुद की व्यवस्था पर भी ट्रैकिंग पर जाते हैं। जबकि अक्तूबर तक ट्रैकिंग सीजन चलता है। जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ति कुमार ने बताया कि पर्यटकों के साथ ही आसपास के गांवों और ग्लेशियरों तक जाने वाले स्थानीय लोग भी काफी मुनासिब किराए पर इन हट्स में रात्रि विश्राम कर सकेंगे। इन सब कार्यों के बाद केएमवीएन की आय में भी भारी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।

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