बागेश्वर। कोविड कर्फ्यू का नियम अब भी लागू है। छूट के तौर पर आंशिक राहत मिली है। ऐसे में बेवजह घर से बाहर निकलने वालों पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। वहीं, बात अगर कुमाऊं के छह जिलों में प्रदूषण की करें तो बागेश्वर की स्थिति मैदान से लेकर पहाड़ी जिलों के मुकाबले बेहतर है। कुमाऊं में ऊधमसिंह नगर को छोड़ अन्य जिलों में कोई बड़ा इंडस्ट्री एरिया नहीं है। इसलिए यहां प्रदूषण की सबसे बड़ी वजह वाहनों का शोर व धुआं है। अब आंकड़ों की माने तो बागेश्वर के लोग कोविड नियमों का पालन करने के साथ बेवजह घर से बाहर भी नहीं निकल रहे।
प्रदूषण के आंकड़ों की बात करें तो चार जून को ऊधमसिंह नगर में सबसे ज्यादा 134 माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर प्रदूषण था। जबकि बागेश्वर में 88 माइक्रोग्राम। जबकि अन्य बागेश्वर की तरह अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ व चम्पावत जिले में ग्राफ कहीं ज्यादा था।
जिला प्रदूषण माइक्रोग्राम प्रति घनमीटर
नैनीताल 115
यूएस नगर 134
चंपावत 106
बागेश्वर 88
पिथौरागढ़ 117
अल्मोड़ा 101
25 अप्रैल नैनीताल के लिए बेहतर
अप्रैल की शुरूआत में जंगलों में लगातार बढ़ रही आग ने प्रदूषण का स्तर बढ़ा दिया था। आग के कारण आसमान भी धुएं के आगोश में था। छह अप्रैल को नैनीताल व हल्द्वानी में प्रदूषण चरम था। एयर फिजिबिलिटी का स्तर इतना गिरा कि जंगल की आग पर काबू पाने के लिए बुलाया गया सेना का हेलीकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर सका। हालांकि, 20 दिन बाद प्रदूषण स्तर में काफी गिरावट आ गई थी।