बागेश्वर के रमेश भट्ट प्रवासियों के लिए बने स्वरोजगार की मिसाल, बना रहे केले के पत्तों, सिल्वर पेपर से प्लेट, कटोरी, गिलास

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बागेश्वर। बागेश्वर जिले के पाटली गांव निवासी रमेश भट्ट गांव लौटे प्रवासी युवाओं के लिए स्वरोजगार की मिसाल बन गये हैं। उन्होंने अपने घर में ही डिस्पोजल प्लेट और अन्य उत्पाद बनाने की मशीन लगाई है। इससे उनको अच्छा मुनाफा भी मिल रहा है।

बता दें रमेश कर्नाटक में एक मोटर कंपनी में काम करते थे। मार्च में लॉकडाउन के बाद कंपनी बंद हो गई। इसके बाद रमेश मई में गांव लौट आए और स्वरोजगार की ठानी। उद्योग विभाग ने उनको तीन लाख का ऋण मंजूर किया। इसके बाद उन्होंने डिस्पोजल उत्पाद बनाने वाली मशीन खरीदी और कार्य शुरू कर दिया। रमेश आज परिवार के सांथ इस काम में जुटे हैं। उन्होंने गांव के दो युवाओं को भी रोजगार दिया है। वो केले के पत्तों, सिल्वर पेपर से प्लेट, कटोरी, गिलास आदि बना रहे हैं। बचे हुए कचरे से खाद बना उसे भी उपयोग में ला रहे हैं।

बागेश्वर जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक जे. पी. दुर्गापाल का कहना है कि कोरोना काल में वापस लौटे प्रवासियों के लिए केन्द्र और राज्य सरकार स्वरोजगार के कई संसाधन उपलब्ध करा रही है। उद्योग विभाग भी युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित कर रहा है। गौरतलब है कि बागेश्वर जिले में कोरोना काल के दौरान साठ हजार से ज्यादा प्रवासी लौटे हैं। इनमें से सात हजार से ज्यादा प्रवासियों ने सरकारी योजनाओं का लाभ लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया है।

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