चमोली। भारत-तिब्बत (चीन) सीमा से लगे सुमना-2 में बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) के मजदूरों के कैंप (टिन शेड) के ऊपर हिमस्खलन होने से हुए सुमना हादसे में रविवार को एक और शव बरामद किया गया। अब मृतकों की संख्या 11 हो गई है। वहीं सभी शवों को वायुसेना के दो विमानों से जोशीमठ लाया गया। जहां मृतकों का पोस्टमार्टम किया जाएगा। डीएम स्वाति एस भदौरिया और पुलिस अधीक्षक यशवंत सिंह चौहान शनिवार से जोशीमठ में मौजूद हैं और रेस्क्यू कार्यों की निरंतर मॉनिटरिंग कर रहे हैं। इस आपदा में लापता 7 लोगों का अभी तक कोई सुराग नहीं लग पाया है। बताया जा रहा है कि मौसम साफ होने के बाद तेज हवा चलने से सुमना इलाके में सेना के हेलीकॉप्टर को लेंडिंग में दिक्कतें आ रही हैं। वहीं, मलारी-सुमना मोटर मार्ग को खोलने का कार्य बीआरओ के द्वारा जारी है। अभी तक घटना स्थल तक सड़क मार्ग को खोला नहीं गया है। बता दें कि शुक्रवार को रिहाइशी टिन शेड के ऊपर दो बार हुए इस भारी हिमस्खलन में 7 मजदूर घायल हो गए, 384 मजदूर सुरक्षित बच गए। घायलों को जोशीमठ सैन्य अस्पताल में भर्ती कराया गया है। सुमना में साल 1991 में भी ऐसे ही हिमस्खलन की चपेट में आकर 11 आईटीबीपी जवान शहीद हो गए थे।
जोशीमठ से 94 किलोमीटर की दूरी पर नीति घाटी में बीआरओ सड़क निर्माण और डामरीकरण करा रहा है। इसके लिए वहां 409 मजदूर टिनशेड में रह रहे थे। नीति घाटी में पिछले तीन दिनों से लगातार बर्फबारी हो रही थी, जिससे घाटी में कई फीट बर्फ जमी है। शुक्रवार शाम को बर्फबारी के बीच अचानक मजदूरों के टिनशेड के ऊपर हिमस्खलन हो गया।
रात आठ बजे ही सेना के जवानों ने बचाव अभियान चलाकर बच गए मजदूरों को अपने शिविर में शरण दी। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि शुक्रवार रात दो, जबकि शनिवार सुबह छह शव घटनास्थल से मिले। सेना के ब्रिगेडियर कृशानु शाह ने शनिवार को प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के बाद बताया कि बचाव अभियान में सेना के दो हेलीकॉप्टर लगाए गए हैं।
मलारी गांव से करीब 25 किलोमीटर दूर मौजूद सुमना उस धौलीगंगा नदी के उद्गम स्थल के करीब है, जिसमें हिमस्खलन से आई भयानक बाढ़ के कारण फरवरी में तपोवन इलाके में 80 लोग मारे गए थे और 126 लापता हो गए।
नीती घाटी में चीन सीमा क्षेत्र को वर्ष 2022 तक पक्की और डबल लेन सड़क से जोड़ने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने पूरी ताकत झोंक दी थी। सुमना से रिमखिम तक सड़क निर्माण और डामरीकरण कार्य लगभग पूरा हो गया है, बीआरओ के अधिकारी और लगभग 400 से अधिक मजदूर भी कड़ाके की ठंड में सड़क निर्माण कार्य में जुटे थे, लेकिन इस त्रासदी ने बीआरओ की मेहनत पर पानी फेर दिया है।
चमोली जिले की नीती और माणा घाटियां चीन सीमा से जुड़ी हुई हैं। चीन अपनी सीमा तक रेल मार्ग का विस्तार कर चुका है, जिसके बाद भारत की ओर से भी सड़कों के विस्तारीकरण पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत नीती और माणा घाटियों में कुछ सालों से सड़क निर्माण कार्य युद्धस्तर पर चल रहा है। केंद्र सरकार भी लगातार सीमा क्षेत्र की सड़कों की प्रगति पर नजर बनाए हुए है।
नीती घाटी में सुमना से आगे सीमा क्षेत्र तक सड़क निर्माण कार्य पूरा करने का लक्ष्य वर्ष 2021 तक था, लेकिन कोरोना संक्रमण के चलते मजदूर घरों को लौट गए थे। इस बार बीआरओ की ओर से वर्ष 2022 तक सड़कों को पूरा करने का लक्ष्य था। इसके लिए बीआरओ ने सैकड़ों मजदूरों को सड़क निर्माण में लगाया।
बीआरओ के एक अधिकारी का कहना है कि इस बार सीमा क्षेत्र में सड़क निर्माण कार्य पूरा होने की उम्मीद थी। कार्य अंतिम चरण में पहुंच गया था, लेकिन इस बार बर्फबारी ने उम्मीदों पर पानी फेर दिया था और अब हिमस्खलन से हुई इस घटना के कारण संगठन के अधिकारियों का लक्ष्य समय से पूरा नहीं हो सकेगा।
नीती घाटी के बाड़ाहोती क्षेत्र में चीन कई बार घुसपैठ की कोशिश कर चुका है। बाड़ाहोती क्षेत्र सुमना के ठीक सामने है। बाड़ाहोती का एक बड़ा क्षेत्र नो मेंस लेंड है। यहां आईटीबीपी सीमा की निगेहबानी में मुस्तैद है। चीन की घुसपैठ को देखते हुए भारत की ओर से अपने सीमा क्षेत्र में सड़क नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है, जिसे देखते हुए बीआरओ दिन रात एक कर सड़क निर्माण में लगा है।