अपने तो अपने होते है, चाहे वो आदमी हो या जानवर, मालिक आपदा में गुम हो गया तो वफादार कुतिया भी गुमसुम है,जबसे मालिक नही है, तो बहुत उदास है,गम में है, लेकिन बेबस है.
दरअसल आपदाग्रस्त क्षेत्र रैणी गांव के पास से ली गई यह तस्वीर एक ऐसी कुतिया की है ,जिसने कि 7 फरवरी से कुछ भी नही खाया है,और न ही उसने यह जगह छोड़ी है,आपदाग्रस्त इलाको में इन दिनों राहत सामग्री बांटने वालो का तांता लगा हुआ है,समाजसेवियों के द्वारा रैणी गांव में लगे स्टालों में बिस्किट,खिचड़ी,पुलाव,दाल-चावल भी जमकर बांटा जा रहा है. लेकिन जैसे ही कोई भी व्यक्ति इस कुतिया के मुँह पर खाना या बिस्किट ले कर जा रहा है तो कुतिया खाना खाने के बजाए खाने से मुँह फेर दे रही है.
रैणी गांव के कुछ युवा बताते है कि 7 फरवरी के दिन ऋषिगंगा के उस सैलाब में इस कुतिया के बच्चे भी दब गए थे,और ऋषिगंगा प्रोजेक्ट के वो कर्मचारी भी जो इस कुतिया को दो वक्त का खाना देते थे,अब इस इंतजार में यह इस उम्मीद के साथ यंहा बैठी है कि मेरे अपने कब वापस लौटेंगे.