उत्तराखंड बजटः फॉरेस्ट गार्ड परीक्षा में धांधली और गन्ना मूल्य पर गरमाया सदन

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गैरसैंण। फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में धांधली और गन्ने के कम समर्थन मूल्य को लेकर विपक्ष ने सरकार पर हमलावर रुख अख्तियार किए रखा। बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्ष ने आरोप लगाया कि बेरोजगारी दूर करने में तो सरकार विफल रही ही है, वह भर्ती परीक्षा भी निष्पक्षता से संपन्न नहीं करा पा रही है। साथ ही गन्ने के समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी न होने और गन्ना किसानों को भुगतान न होने का मसला भी उठाया। विपक्षी विधायकों ने इन मसलों को लेकर वेल में आकर हंगामा किया। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने साफ किया कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी की जांच चल रही है और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। साथ ही उन्होंने विभन्न विभागों में हुई नियुक्तियों का ब्योरा भी रखा। उन्होंने यह भी कहा कि गन्ना किसानों को लेकर सरकार पूरी तरह गंभीर है।

सदन की कार्यवाही शुरु होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ. इंदिरा हृदयेश ने बेरोजगारी, तीन साल में सरकारी विभागों में हुई नियुक्तियों और फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी का मामला उठाते हुए नियम 310 के तहत सभी कामकाज रोककर इस पर चर्चा की मांग की। इसी बीच कांग्रेस विधायक वेल में आकर नारेबाजी करने लगे। इस पर पीठ ने व्यवस्था दी कि इस मसले का नियम 58 की ग्राह्यता पर सुन लिया जाएगा। इसके बाद ही विपक्ष शांत हुआ।

बाद में शून्यकाल में इस मसले पर अपनी बात रखते हुए नेता प्रतिपक्ष डॉ.हृदयेश ने कहा कि राज्य में बेरोजगारी बढ़ रही है, मगर सरकार इस तरफ उदासीन बनी हुई है। वह भी तब जबकि तमाम विभागों में हजारों की संख्या में पद रिक्त पड़े हैं। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि वह बताए कि तीन साल में उसने सरकारी विभागों में कितनी नियुक्तियां कीं। विधायक प्रीतम सिंह ने कहा कि फॉरेस्ट गार्ड भर्ती परीक्षा में भ्रष्टाचार व घोटाला हुआ है। प्रीतम सिंह समेत अन्य विधायकों ने भी भर्ती परीक्षा को रद करने की मांग उठाई। विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने भी नियम-58 में यह मसला उठाया। सरकार की ओर से संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक द्वारा जवाब दिए जाने के बाद पीठ ने इस मसले को अग्राह्य कर दिया।

इससे पहले, विधायक काजी निजामुद्दीन ने गन्ना का समर्थन मूल्य में वृद्धि न करने और गन्ना किसानों को गन्ना मूल्य के बकाये का भुगतान न होने का मसला उठाया। उन्होंने कहा कि मौजूदा पेराई सत्र मे ही चीनी मिलों पर 827 करोड़ का बकाया है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के प्रति संवेदनहीन बनी हुई है। नेता प्रतिपक्ष डॉ.हृदयेश, विधायक फुरकान अहमद, आदेश चैहान, ममता राकेश आदि ने भी अपनी बात रखी।

संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने कहा कि गन्ना मूल्य परामर्श समिति की सिफारिशों के अनुरुप सरकार गन्ना मूल्य तय करती है। जहां तक चीनी मिलों पर किसानों के गन्ना मूल्य के बकाये की बात है तो इसके लिए सरकार ने पुरजोर प्रयास किए हैं। इसके अलावा चीनी मिलों की आय बढ़ाने के दृष्टिगत एथनॉल प्लांट लगाने का निर्णय लिया है। अगले साल यह प्लांट अस्तित्व में आ जाएगा। हालांकि विपक्ष के विधायक इस पर संतुष्ट नहीं हुए और उन्होंने वेल में आकर हंगामा किया।

सदन में उठा अक्षय पात्र किचन का मसला

शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा किसी भी भोजनमाता को हटाया नहीं गया है। जहां स्कूल क्लब किए गए हैं, वहां भोजनमाताओं को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। भोजनमाताओं का मानदेय दो हजार से बढ़ाकर पांच हजार करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा गया है। उन्होंने कहा कि गर्म और गुणवत्तायुक्त भोजन मुहैया कराने के लिए ही अक्षय फाउंडेशन को चार जिलों मे अक्षय किचन का काम दिया जा रहा है।

प्रदेश के चार जिलों में स्कूलों में दिए जाने वाले मिड-डे-मील का जिम्मा अक्षय पात्र फाउंडेशन को दिए जाने का मसला विधायक प्रीतम सिंह ने सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में मिड-डे-मील में बच्चों के लिए भोजन बनाने व परोसने के लिए भोजनमाताएं नियुक्त हैं, लेकिन इनके मानदेय में कोई बढोतरी नहीं की गई है। मानदेय बढ़ाने की बजाए एक संस्था को यह जिम्मा सौंपकर भोजनमाताओं को बेरोजगार किया जा रहा है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसी संस्था को काम सौंपने के लिए भोजनमाताओं को बेरोजगार करना गलत है।

डीएलएड प्रशिक्षितों को मिले नियुक्ति

विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने डीएलएड प्रशिक्षित बेरोजगारों को नियुक्ति न मिलने का मसला उठाते हुए इस दिशा में तुरंत कदम उठाने पर जोर दिया। विधायक करन माहरा व नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि इन प्रशिक्षित बेरोजगारों को नियुक्ति मिलने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार आएगा। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि ये मामला न्यायालय में विचाराधीन है। अदालत का निर्णय आने पर फैसला लिया जाएगा।

धामी ने लगाया बदले की भावना से काम करने का आरोप

विधायक हरीश धामी ने सदन में आरोप लगाते हुए कहा कि तीन साल से उनके विस क्षेत्र में विधायक निधि के कार्य नहीं हो रहे हैं। जो योजनाएं दी गई गई थीं, उनमें पांच लाख तक के कार्य सलेक्शन बांड पर कराने का नियम है, लेकिन उनके क्षेत्र में न तो कार्य कराए जा रहे और न पुराने कार्यों का भुगतान ही हो रहा। बदले की यह भावना ठीक नहीं है। ऐसे में वह आगे किस आधार पर कार्ययोजना दें। विधायक मनोज रावत ने भी शिकायत की कि योजनाओं का पैसा देर में आ रहा है। नेता प्रतिपक्ष डॉ.हृदयेश ने कहा कि विधायक धामी का विषय गंभीर है। इसकी जांच होनी चाहिए। संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने विधायक धामी द्वारा उठाए गए विषय को संज्ञान लेने की बात कही।

पीठ ने सुरक्षित रखा विनिश्चय

विधायक ममता राकेश विशेषाधिकार हनन का मामला उठाते हुए कहा कि भगवानपुर तहसील की तहसीलदार को जब उन्होंने एक सब स्टेशन के संबंध में फोन किया तो तहसीलदार ने फोन नहीं उठाया। बाद में जब वह ग्रामीणों के साथ तहसीलदार से मिलने पहुंची तो तहसीलदार ने अभद्रता की। इस पर पीठ ने कहा कि इस मामले में बाद में व्यवस्था दे दी जाएगी।

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