औली रोपवे पर मंडराया खतरा, 50 मीटर दूरी पर दो होटल झुके, प्रशासन ने बताया अति संवेदनशील

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जोशीमठ: पर्यटन स्थल औली को विश्व मानचित्र में अलग स्थान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला औली रोपवे के अस्तित्व पर भूधंसाव से बादल मंडरा रहे हैं।

इस रोपवे के मुख्य आपरेशन भवन के चारों ओर भूधंसाव से खतरा ही खतरा है। हालांकि अभी रोपवे के भवन व टावरों को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।

बर्फ के दीवानों के लिए किसी स्वर्ग की कल्पना से कम नहीं औली
विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल औली बर्फ के दीवानों के लिए किसी स्वर्ग की कल्पना से कम नहीं है। यहां ढलानेां में जब शीतकाल में बर्फ की चादर ओढ़ती है तो उसकी खूबसूरती देखते बनती है। पर्यटन स्थल औली में वर्ष भर पर्यटकों का तांता लगा रहता है।

औली को स्कीइंग के क्षेत्र में इंटरनेशन स्तर पर विकसित किया गया है। इस पर्यटन स्थल को विश्व मानचित्र पर स्थान बनाने में प्रमुख कारण यहां की रोपवे का भी 22 मिनट तक खेतों , जंगल , पहाड़ों के उपर सफर करते हुए औली का दीदार करता है।

अब जोशीमठ में भूधंसाव का असर इस रोपवे पर भी पड़ रहा है। खतरे को देखते हुए फिलहाल इस रोपवे का संचालन बंद किया गया है। रोपवे का आपरेशन कार्यायल जोशीमठ में है यहां से ही रोपवे में पर्यटकों का सफर शुरू होता है।

मुख्य भवन के पीछे बीते दिन भूधंसाव से दरार पड़ गई है। यहीं नहीं भवन के दस से पचास मीटर की दूरी पर भूधंसाव से भवन होटल क्षतिग्रस्त हुए हैं। प्रशासन ने इसे अति संवेदनशील की श्रेणी में रखा है। रोपवे के मुख्य भवन के सामने पचास मीटर दूरी पर दो होटल झुक गए हैं।

वहीं 10 मीटर दांए व बांए ओर भवन भूमि होटल भूधंसाव से पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए है। मुख्य भवन के पीछले साइड आंगन एरिया में दो दिन पूर्व आई दरार बढ़ रही है। इस रोपवे के टावर एक से लेकर तीन तक के आसपास की भूमि धंसाव से खतरा मंडरा रहा है।

ये है विशेषता

  • 10 टावरों के इस रोपवे की लंबाई 4.15 किमी है।
  • रोपवे मे 22 मिनट में सफर पूरा होता है।
  • इस रोपवे में 25 पर्यटक एक कैबिन में बैठकर सफर करते हैं।
  • रोपवे जिकबैक बाई कैबिल यानी एक कैबिन औली के लिए जाती है तथा दूसरी औली से जोशीमठ आती है।
  • दो कैबिन में 50 पर्यटक एक साथ आवाजाही कर सकते हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री ने किया था शिलान्यास

  • इस रोपवे का शिलान्यास पूर्व प्रधानमंत्री इंदरा गांधी ने वर्ष 1983 में किया था।
  • जबकि इसका निर्माण पूरा होने के बाद उद्घाटन 1994 में यूपी के तत्कालीन राज्यपाल मोती लाल बोरा ने किया था।
  • यह रोपवे आजतक सुरक्षित आवाजाही के लिए भी जाना जाता है।
  • रोपवे में जोशीमठ से शुरू होकर दस नंबर टावर तक जाता है।
  • आठ नंबर टावर में भी उतरने चढ़ने की व्यवस्था है

औली रोपवे के सभी टावर सुरक्षित हैं। रोपवे के जोशीमठ स्थित मुख्य आपरेशन कार्यालय में कैबिन प्लेटफार्म के पास भूमि में दरार आई है। रोपेवे को कोई खतरा नहीं है। -प्रबंधक रोपवे जोशीमठ

रोपवे के भवन के पास दरारें व टावर भी भूधंसाव के जद में हैं प्रशासन दरारों का अवलोकन कर रहा है। फिलहाल रोपेवे का संचालन बंद है। -रंजीत सिन्हा सचिव आपदा

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