उत्तराखंड में बदरीनाथ हाईवे पर कर्णप्रयाग में शिल्प और स्थापत्य कला के लिए विख्यात उमा देवी मंदिर खतरे की जद में हैं। मंदिर के नीचे व आंगन में लगातार भू धंसाव हो रहा है। अगर भू-धंसाव रोकने के उपाय नहीं किए तो 900 साल पुराना यह मंदिर इतिहास के पन्नों में सिमट सकता है।
कर्णप्रयाग में ऋषिकेश- बदरीनाथ हाईवे के किनारे बना उमा देवी मंदिर धार्मिक आस्था का प्रतीक है। बदरीनाथ यात्रा पर जाने वाले भक्त भी यहां देवी के दर्शनों को पहुंचते हैं। पिछले 10 दिनों से मंदिर प्रांगण में लगातार भूधंसाव हो रहा है। मंदिर समिति के अध्यक्ष रविंद्र पुजारी ने कहा कि भूधंसाव का दायरा लगातार बढ़ रहा है।
प्रांगण में कई बड़े गड्ढे बन गए हैं। इनके अंदर बारिश का पानी जाने से मंदिर को खतरा बना है। मंदिर के आगे का बिजली का पोल और फुलवारी भी पूरी तरह से धंस चुकी है। समय रहते मंदिर की सुरक्षा के उपाय नहीं किए तो मंदिर को खतरा हो सकता है। पालिका के ईओ शरुदीप आर्य ने कहा कि जेई के साथ मंदिर प्रांगण का निरीक्षण किया जाएगा।
नागर शैली का है यह मंदिर
उमा देवी का यह मंदिर नागर शैली में बना है। मंदिर के शीर्ष पर कलश और गोल कमलाकार पत्थर है। मंदिर के अंदर भगवती उमा की भव्य मूर्ति है, जो सबको आकर्षित करती है।
12 साल में होती है उमा देवी की ध्याण यात्रा
विश्व कल्याण की कामना के लिए 12 साल बाद मां उमा शंकरी की दिवारा/ध्याण यात्रा होती है। इस दौरान उमा देवी तीर्थों सहित प्रयागों का भ्रमण कर विभिन्न गांवों में रहने वाली अपनी ध्याणियों को आशीर्वाद देती हैं।