जोशीमठ-मलारी हाईवे पर टूटी चट्टान, बोल्डरों के ऊपर से ही आवाजाही कर रहे नीती घाटी के ग्रामीण

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उत्तराखंड में जोशीमठ-मलारी हाईवे पर बुधवार को भापकुंड के पास अचानक चट्टान का एक बड़ा हिस्सा टूटकर हाईवे पर आ गिरा,  जिससे दिनभर वाहनों की आवाजाही बाधित रही। नीती घाटी के ग्रामीणों ने बोल्डरों के ऊपर से ही जान जोखिम में डालकर आवाजाही की।

सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की ओर से हाईवे खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। बुधवार सुबह करीब नौ बजे मलारी हाईवे पर भापकुंड के पास चट्टान टूटकर गिर गई, जिससे नीती घाटी के ग्रामीणों के साथ ही सेना के वाहनों की आवाजाही दिनभर थमी रही।बीआरओ के कमांडर मनीष कपिल ने बताया कि जोशीमठ-मलारी हाईवे खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही बोल्डरों का निस्तारण कर हाईवे पर वाहनों की आवाजाही शुरू करा दी जाएगी।

वहीं, बदरीनाथ हाईवे रडांग बैंड के पास सातवें दिन आज बुधवार को वाहनों की आवाजाही के लिए सुचारू हो गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की नौ जेसीबी व पोकलैंड मशीनों के जरिए हाईवे पर करीब 50 मीटर तक पहाड़ी की कटिंग कर नया रास्ता तैयार किया। इसके बाद हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खोला गया। बीआरओ के कमांडर मनीष कपिल ने बताया कि जोशीमठ-मलारी हाईवे खोलने का काम शुरू कर दिया गया है। जल्द ही बोल्डरों का निस्तारण कर हाईवे पर वाहनों की आवाजाही शुरू करा दी जाएगी।

वहीं, बदरीनाथ हाईवे रडांग बैंड के पास सातवें दिन आज बुधवार को वाहनों की आवाजाही के लिए सुचारू हो गया है। सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की नौ जेसीबी व पोकलैंड मशीनों के जरिए हाईवे पर करीब 50 मीटर तक पहाड़ी की कटिंग कर नया रास्ता तैयार किया। इसके बाद हाईवे वाहनों की आवाजाही के लिए खोला गया। बीआरओ ने अलकनंदा साइड दो पुश्तों का निर्माण भी किया, लेकिन भू-कटाव होने के चलते दूसरे दिन ही पुश्ते ढह गए, जिससे हाईवे खोलना चुनौती बन गया। तब बीआरओ ने लगभग 50 मीटर तक पहाड़ी काटकर हाईवे का निर्माण किया। बुधवार को दोपहर बाद हाईवे को वाहनों की आवाजाही के लिए खोल दिया गया।सबसे पहले बीआरओ के वाहनों की आवाजाही कराई गई, इसके बाद स्थानीय वाहनों की आवाजाही हुई। बीआरओ के मजदूरों और मशीनों ने दिन-रात कार्य कर एक सप्ताह में हाईवे को सुचारू कर दिया। वहीं हनुमान चट्टी से आगे पुलिस, तीर्थ पुरोहित, माणा गांव और सैन्य वाहनों को ही आवाजाही की अनुमति है।बीआरओ के कमांडर मनीष कपिल ने बताया कि हाईवे ध्वस्त होने के बाद यहां पुश्ते निर्माण के लिए जगह ही नहीं बची थी, जिसे देखते हुए पहाड़ी काटकर नए हाईवे का निर्माण किया गया। अब हाईवे पूरी तरह से सुचारू हो गया है।

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