धाम में हुई बर्फबारी का सिलसिला जारी,पर्यटक उत्साहित

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बदरीनाथ धाम में बर्फबारी का सिलसिला जारी है। बर्फबारी देख पर्यटक उत्साहित नजर आ रहे हैं। बर्फबारी के चलते यहां कड़ाके की ठंड पड़ रही है। वहीं मौसम वैज्ञानिकों ने राज्य के पर्वतीय इलाकों के साथ ही मैदानों में मौसम के मिजाज बदलने की संभावना जताई थी।

उत्तरकाशी, चमोली ,बागेश्वर, पिथौरागढ़ और रुद्रप्रयाग के ऊंचाई वाले इलाकों में कहीं-कहीं हल्की बारिश के साथ ही बर्फबारी हो रही है। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह के मुताबिक 35 सौ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में अगले चौबीस घंटे में हल्की बारिश के साथ ही बर्फबारी की संभावना है। ऐसा होता है तो मैदानी इलाकों में भी ठंड बढ़ सकती है। उन्होंने बताया कि राजधानी दून में बादल छाए रहेंगे। कुछ इलाकों में गर्जना के साथ बूंदाबांदी होने की संभावना है।

बता दें. बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए 19 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। कपाट बंद होने की प्रक्रिया मंगलवार 15 नवंबर से शुरू हो जाएगी। धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया के तहत आसपास के मंदिरों के कपाट भी बंद होंगे। उसके बाद वेद ऋचाओं का वाचन बंद होगा इसके बाद बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होंगे।

बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि 15 नवंबर को गणेश मंदिर, 16 नवंबर को आदिकेदारेश्वर मंदिर के कपाट बंद किए जाएंगे। 17 नवंबर को बदरीनाथ मंदिर के मंडप में वेद पुस्तकों के पूजन के बाद वेद ऋचाओं का वाचन बंद होगा।  18 नवंबर को माता लक्ष्मी की पूजा के बाद भोग चढ़ाया जाएगा। 19 नवंबर को उद्धव जी और कुबेर जी की प्रतिमा को उत्सव डोली में विराजमान किया जाएगा और माता लक्ष्मी की प्रतिमा को छह माह के लिए बदरीनाथ मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया जाएगा। 

माणा गांव की महिलाओं की ओर से ऊनी कंबल को भगवान बदरीविशाल को ओढ़ाकर अपराह्न तीन बजकर 35 मिनट पर बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। 20 नवंबर को सुबह उद्धव जी, कुबेर जी और रावल (मुख्य पुजारी) के साथ आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी।

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