विश्व धरोहर फूलों की घाटी में पॉलीगोनम के साथ ही अब गोल्डन फर्न फूलों का दुश्मन बन गया है। गोल्डन फर्न इस खूबसूरत घाटी में फूलों के हरे-भरे संसार को नष्ट कर रहा है। गोल्डन फर्म के बढ़ते दायरे को देख नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन की चिंता बढ़ गई है।
घाटी में जहां रंग-बिरंगे फूल दिखते थे, वहां अब दूर-दूर तक गोल्डन फर्न ही नजर आ रहा है। फूलों की घाटी के बीचों बीच से बहने वाली पुष्पावती नदी के किनारे भी फूलों के बजाय गोल्डन फर्न फैल रहा है। इससे घाटी के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
चमोली जनपद में नैसर्गिक सौंदर्य से भरी फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजातियों के फूल खिलते हैं। यूनेस्को ने वर्ष 1982 में इस घाटी को विश्व धरोहर घोषित किया था। फूलों की घाटी 87.50 किलोमीटर वर्ग क्षेत्र में फैली हुई है।
घाटी से पॉलीगोनम को खत्म करने के लिए नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन लाखों रुपपये खर्च कर चुका है। लेकिन अब घाटी में गोल्डन फर्न नई मुसीबत बन गया है। घाटी के कई हिस्सों में गोल्डन फर्न की पैदावार साल दर साल बढ़ रही है।
नंदा देवी बायोस्फियर रिजर्व के निदेशक अमित कंवर ने बताया कि खूबसूरत फूलों की घाटी में गोल्डन फर्न का दायरा बढ़ रहा है। पुष्पावती नदी के किनारे, मेरी की कब्र, बामण धौड़ से लेकर पिकनिक स्पॉट तक घाटी में गोल्डन फर्न फैल गया है।इसके उन्मूलन के लिए योजना बनाई जा रही है। गोल्डन फर्न का पौधा करीब आधा मीटर का होता है। इसके पत्ते चौड़े और हल्के पीले रंग के होते हैं। यह अपने इर्द-गिर्द फूलों को पनपने नहीं देता। घांघरिया से करीब दो किलोमीटर की दूरी से ही गोल्डन फर्न की पैदावार शुरू हो जाती है।पिछले वर्ष घाटी में गोल्डन फर्न की पेदावार कम थी, लेकिन इस बार चारों ओर दूर-दूर तक गोल्डन फर्न ही नजर आ रहा है। बताया कि गोल्डन फर्न के सर्वेक्षण के बाद इसके उन्मूलन के लिए प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।स साल अभी तक लगभग 3400 पर्यटक फूलों की घाटी का दीदार कर चुके हैं। पर्यटकों की आवाजाही से नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन साढ़े पांच लाख रुपये की कमाई कर चुका है।