उत्तराखंड के चमोली में नीती घाटी के जुग्जू गांव के ठीक शीर्ष भाग से चट्टान से भूस्खलन होने के बाद सहमे ग्रामीणों ने मंगलवार की रात जंगलों में बिताई। पीड़ित ग्रामीणों ने प्रशासन से जल्द से जल्द गांव के पुनर्वास की मांग की। रैणी गांव के पास जुग्जू गांव के ऊपर मंगलवार दोपहर को भूस्खलन हो गया था और ग्रामीणों ने भागकर जान बचाई थी। इसके बाद भूस्खलन थमा तो ग्रामीण घरों को लौट गए लेकिन रात आठ बजे फिर पहाड़ी से भूस्खलन शुरू हो गया।ऐसे में ग्रामीणों ने रात को ही घर छोड़कर दिए और गांव से करीब पांच सौ मीटर दूर जंगल की गुफा में पहुंच गए। ग्रामीणों ने यहीं पूरी रात बिताई। गांव के पूर्व बीडीसी सदस्य संग्राम सिंह ने बताया कि गांव में 16 परिवार रहते हैं और यहां कई सालों से भूस्खलन हो रहा है। ग्रामीण पुनर्वास की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी एक नहीं सुनी जा रही है। इधर, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी ने बताया कि चट्टान से भूस्खलन हुआ था, अब स्थिति सामान्य है। तहसील से रिपोर्ट मांगी गई है।
उर्गम गांव के तल्ला बडगिंडा के ग्रामीणों ने गांव के पुनर्वास की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन भेजा। कहा कि गांव में अनुसूचित जाति के 130 परिवार रहते हैं। वर्ष 2013 से गांव के नीचे कल्पगंगा के कटाव से भूस्खलन हो रहा है। बीते दिनों जिले के प्रभारी मंत्री धन सिंह रावत ने क्षेत्र भ्रमण के दौरान गांव के पुनर्वास का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। वहीं, दशोली ब्लाक के मठ-बेमरु गांव के निचले हिस्से में सड़क कटिंग के कारण हो रहे भूस्खलन से गांव को खतरा हो गया है। गांव के लगभग 300 ग्रामीण भूस्खलन के कारण डर के साए में रह रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शासन-प्रशासन को अवगत कराने के बावजूद भूस्खलन क्षेत्र का ट्रीटमेंट नहीं किया गया है। वर्ष 2010 से गांव के निचले हिस्से में भूस्खलन सक्रिय हो गया था, लेकिन अब धीरे-धीरे भूस्खलन का दायरा बढ़ रहा है। भूस्खलन से गांव की कई हेक्टेयर कृषि भूमि भी बर्बाद हो गई है।
ग्रामीणों का कहना है कि भारी बारिश होने पर ग्रामीण सहम जाते हैं और रात को सो भी नहीं पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में निर्माणाधीन विष्णुगाड-पीपलकोटी जल विद्युत परियोजना की निर्मात्री कंपनी की ओर से गांव के निचले हिस्से में सड़क कटिंग का कार्य किया गया, जिससे भूस्खलन बढ़ता ही जा रहा है। जिला प्रशासन और टीएचडीसी को भी इस संबंध में अवगत कराया गया, लेकिन इस ओर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है। इधर, जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंद किशोर जोशी का कहना है कि भूस्खलन क्षेत्र का स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा। इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
बिरही-निजमुला सड़क बुधवार को तीसरे दिन भी ठप रही, जिससे ग्रामीणों को करीब पांच किलोमीटर की पैदल दूरी नापकर अपने गंतव्य तक जाना पड़ा। वहीं घाटी के गांवों में रसोई गैस समेत आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई ठप रही। सोमवार को भारी बारिश के कारण काली चट्टान व तोली तोक के पास मलबा आने से सड़क बंद हो गई थी, जबकि मंगलवार को टिटरी गदेरे के उफान से 40 मीटर तक सड़क बह गई और घाटी के गांवों में वाहनों की आवाजाही ठप पड़ गई।