शराबियों के लिए दुर्गा बनी देवेश्वरी; शादियों की पार्टी में अब शराब से तौबा

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चमोली के करीब आधा दर्जन गांव में अब शादियों में मेहमानों का स्वागत दूध दही से किया जाता है. आप को यह जानकार सुखद आश्चर्य होगा, लेकिन यह हकीकत हैं.  इसकी वजह हैं पाडुली गांव की देवेश्वरी देवी, जिन्होंने अपनी 12 सहेलियों के साथ मिलकर पाडुली समेत आसपास के आधा दर्जन गांव में भी शराब पीने पिलाने वालों के खिलाफ अभियान चला रखा है

गोपेश्वर (संवाददाता) :  शराब ने पहाड़ को बर्बादी के कगार पर ला खड़ा कर दिया है. पहाड़ के गांवों का बुरा हाल है.  गाँव में कोई भी आयोजन हो शराब जरुर परोसी जाएगी, यहाँ तक कि धार्मिक आयोजनों में भी लोग शराब का सेवन करते देखे जा सकते हैं. शादियों में तो शराब के बिना कोई रस्म ही पूरी नहीं होती. लेकिन चमोली के करीब आधा दर्जन गांव में अब शादियों में मेहमानों का स्वागत दूध दही से किया जाता है. आप को यह जानकार सुखद आश्चर्य होगा, लेकिन यह हकीकत हैं.  इसकी वजह हैं पाडुली गांव की देवेश्वरी देवी, जिन्होंने अपनी 12 सहेलियों के साथ मिलकर पाडुली समेत आसपास के आधा दर्जन गांव में भी शराब पीने पिलाने वालों के खिलाफ अभियान चला रखा है.

पहाड़ों में नवजागरण की बयार बहाने वाली 38 वर्षीय देवेश्वरी देवी की शादी वर्ष 1998 में जब बगड़वालधार पाडुली के कमल सिंह से हुई तो गांव के आसपास शराबियों का उत्पात मचा रहता था.  वह उन दिनों को याद कर बताती हैं कि तब बाजार तक आना जाना आसान नहीं था. विशेषकर सायं के समय.  महिलाओं को शराबियों के डर से राह तक बदलनी पड़ती थी.

इसके बाद उन्होंने वर्ष 2012 में गांव की महिलाओं के साथ मंथन कर हालात बदलने का संकल्प लिया.  इसके बाद उन्होंने बिलेश्वरी रावत, सुलोचना, शिवदेई, भारती रावत, सुभागा नेगी, मंजू, धर्मा देवी, आशा देवी, बसंती देवी आदि महिलाओं के साथ शराब विरोधी मुहिम की शुरुआत की.  आरंभ में महिलाओं ने शराबियों को समझाने का प्रयास किया.

जिलाधिकारी व पुलिस अधीक्षक से शिकायत की.  इसके बाद भी हालात नहीं सुधरे.  फिर इन महिलाओं ने शराबियों को पकड़ पुलिस को सौंपना शुरू किया.  वह कहती हैं कि हमने हिम्मत दिखाई तो दूसरी महिलाएं भी अभियान से जुड़ी. आज यह संख्या ढाई हजार पहुंच चुकी है.

उनका कहना है कि पहाड़ के गांवों में शहरों की तरह सुविधा नहीं हैं.  शादी ब्याह या अन्य समारोह में खाना बनाने का काम गांव की महिलाएं करती हैं.  इसके बाद देवेश्वरी समेत अन्य महिलाओं ने इसे ही शराब के खिलाफ हथियार बनाया.

महिलाओं ने तय किया कि जिस घर में समारोह होगा उसके मुखिया को बताएंगे कि महिलाएं काम करने तभी आएंगी, जब वे मेहमानों को शराब नहीं परोसेंगे.  देवेश्वरी की सहयोगी शिवदेई कहती हैं शुरू में लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया.  जब हमने अपनी चेतावनी पर अमल किया तो वे रास्ते पर आ गए.  अब इसके सुखद परिणाम देखने को मिल रहे हैं.  उन्होंने बताया कि अब गांव में शादी ब्याह व अन्य समारोहों में शराब के जगह दूध, दही व छांछ परोसी जाती है.

संगठन से जुड़ी बसंती देवी कहती हैं कि शराब से घर बर्बाद हुए और नारकीय जीवन महिलाओं को भुगतना पड़ता था.  आज गांव के हालात काफी सुधर गए हैं.  वह बताती हैं कि हम लोग शराब के लती पुरूषों को समझाने का प्रयास करती हैं.  यहां तक कि उसे नशा छोड़ने में मदद का प्रस्ताव दिया जाता है.  गांव- गांव जाकर महिलाओं के बीच शराब की दुष्परिणामों को लेकर जागरुकता फैलाई जाती है.  इसके अलावा कोई नहीं मानता है तो महिलाएं उसे कंडाली से समझाती हैं.

अब इन गांवों में नहीं परोसी जाती शराब 

पाडुली, पीपलकोटी, नौरख, अगथला, कम्यार, बैरागना, मंडल गांवों में आज भी विवाह अथवा अन्य समारोह में मदिरा परोसनी बंद कर दी गई.  मेहमानों का स्वागत दूध, दही और छांछ से किया जा रहा है.

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