हिम तेंदुओं के लिए बनेंगे पानी के होल

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चमोली। संवाददाता। चमोली, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जनपदों में 2000 से 7816 मीटर की ऊंचाई पर 5860 वर्ग किलोमीटर में पसरे नंदा देवी बायोस्फीयर रिजर्व (एनडीबीआर) में हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए खास योजना बनाई गई है। इसके तहत वासस्थल विकास पर फोकस करने के साथ ही इनकी गणना के भी प्रयास होंगे। यही नहीं, इनकी सुरक्षा के मद्देनजर इस संरक्षित जैवमंडल में जगह-जगह वाटर होल भी बनाए जाएंगे, ताकि ये पानी की तलाश में सड़कों और आबादी के इर्द-गिर्द न आएं।

यह सब एनडीबीआर के उस पांच वर्षीय एक्शन प्लान का हिस्सा है, जिसे अंतिम रूप देने में शासन जुटा हुआ है। इस प्लान को लेकर अपर सचिव वन डॉ.रणवीर सिंह ने विभागीय अधिकारियों के साथ मंथन किया। अब इसे अनुमोदन के लिए मुख्य सचिव को भेजा जा रहा है। वहां से हरी झंडी मिलने पर केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को भेजा जाएगा।

जैव विविधता के साथ ही हिम तेंदुओं के लिए मशहूर एनडीबीआर को 2005 में यूनेस्को ने श्वर्ल्ड हैरिटेज साइटश् घोषित किया था। हर पांच साल के लिए वहां एक्शन प्लान तैयार किया जाता है। 2022 तक के लिए एनडीबीआर प्रशासन ने नया प्लान बनाकर वन मुख्यालय के माध्यम से शासन को भेज दिया था। अब इसे अंतिम रूप दिया जा रहा है। अपर मुख्य सचिव वन के सामने इस प्लान को लेकर प्रस्तुतीकरण दिया गया।

एक्शन प्लान में इस उच्च हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण को महफूज रखने के साथ ही एनडीबीआर के बफर और बफर जोन से लगे सौ गांवों में आजीविका विकास से संबंधित योजनाओं पर फोकस किया गया है। नंदादेवी राष्ट्रीय पार्क के उप वन संरक्षक चंद्रशेखर जोशी के मुताबिक क्षेत्र के पंचायत प्रतिनिधियों से गहन मंथन के बाद एक्शन प्लान तैयार किया गया। इसमें आजीविका विकास के तहत रोजगारपरक कार्यक्रम, पेयजल सुविधा, भूक्षरण रोकने को चेकडैम समेत अन्य कार्य होंगे।

उन्होंने बताया कि एक्शन प्लान में एनडीबीआर में हिम तेंदुओं के संरक्षण-संवर्द्धन पर भी खास फोकस किया गया है। इसकी कार्ययोजना में पूरे क्षेत्र में कैमरा ट्रैप, वाटर होल समेत कई कार्य किए जाएंगे। हिम तेंदुओं की गणना भी होगी। उन्होंने बताया कि आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए दो करोड़ की कार्ययोजना बनाई गई है। यह राशि मिलते ही कार्य प्रारंभ कर दिए जाएंगे।

क्या है बायोस्फीयर (संरक्षित जैव मंडल)

यूनेस्को के अनुसार बायोस्फीयर रिजर्व स्थलीय और तटीय पारिस्थितिकीय तंत्र के ऐसे क्षेत्र हैं, जो अपने सतत उपयोग के साथ जैव विविधता संरक्षण के समाधान को बढ़ावा देते हैं। वहां पारिस्थितिकीय तंत्र अथवा वनस्पति और जीवों के लिए खास वातावरण तैयार होता है, जिसे संरक्षण- संवर्द्धन की जरूरत होती है। ये रिजर्व पूरी तरह से व्यवस्थित होने के साथ ही वैज्ञानिक और प्राकृतिक रुचि के विषयों पर आधारित होते हैं।

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