उत्तराखंड के चंपावत में भारत-नेपाल सीमा पर एसएसबी के मानव तस्करी निरोधक दस्ते (एएचटीयू) ने कुवैत जा रहीं नेपाल की पांच युवतियों को पकड़कर नेपाल पुलिस के माध्यम से नेपाली संस्था के सुपुर्द कर दिया है। पूर्व में कुवैत जा चुकी एक नेपाली युवती अन्य चार युवतियों को लेकर दिल्ली जा रही थी, जहां से उन्हें कुवैत ले जाने का इरादा था। एक नेपाली युवती से नेपाल की फर्जी आईडी भी मिली है।
पांच नेपाली युवतियां बनबसा जाने के लिए रविवार को एसएसबी चेकपोस्ट पर पहुंची। एसएसबी के दस्ते ने संदेह होने पर युवतियों से कड़ी पूछताछ की। पूछताछ में परस्पर विरोधी बयानों के चलते एसएसबी के दस्ते को मानव तस्करी की आशंका हुई। एसएसबी ने नेपाल पुलिस, गड्डाचौकी स्थित शांति पुनर्वास स्थापना गृह नामक संस्था को मामले की जानकारी दी। संयुक्त पूछताछ में एक युवती काफी घबरा गई। उसने बताया कि वह नेपाल से दिल्ली जाने के लिए बनबसा पहुंची थी।
एसएसबी 57वीं वाहिनी की बनबसा स्थित ई कंपनी की प्रभारी असिस्टेंट कमांडेंट तन्वी शुक्ला ने बताया कि युवतियों से तीन नेपाली नागरिकता प्रमाणपत्र, एक भारतीय आधार कार्ड, एक हस्तलिखित जन्म प्रमाणपत्र और नेपाल के दो पासपोर्ट मिले हैं। उन्होंने बताया कि रोशनी नाम की युवती दो वर्ष पूर्व कुवैत जा चुकी है। उसके पासपोर्ट पर सऊदी अरब का वीजा लगा है। वह अपने साथ अन्य चार युवतियों को कुवैत ले जा रही थी।
नेपाली संस्था कर्मी के मुताबिक एक नेपाली युवती का नागरिकता कार्ड फर्जी है। एसएसबी ने नेपाल के झापा जिला निवासी रोशनी धिमिरे (28), रोजीना धिमीरे (23), मात्रिका देवी घिमिरे (18), दीपा मिस्त्री (27), जिला मकवानपुर निवासी सुनीता सयागतान (21) को नेपाल पुलिस के सुपुर्द कर दिया। एसएसबी एएचटीयू के उपनिरीक्षक नवीन कुमारी, एचसी गौरीशंकर राठौर, नसीब चंद, शांति पुनर्वास स्थापना गृह सदस्य सनजीत सिंह, कैलाशो राना, नेपाल प्रहरी टीम के रमेश नाथ, मकर खड़का आदि थे।