चंपावत। टनकपुर से चम्पावत के बीच बन रही ऑलवेदर रोड में पहाड़ कटिंग के साथ डामरीकरण का काम करीब-करीब पूरा हो गया लेकिन स्वाला स्थित पहाड़ी से अभी भी मलबा गिर रहा है। जिससे लोगों को आवाजाही में काफी दिक्कत हो रही है। रविवार देर शाम स्वाला स्थित पहाड़ी के नीचे मार्ग में एक वाहन फंस गया। जिसे कार्यदायी कंपनी द्वारा निकालते ही एकाएक पहाड़ से मलवा गिरने लगा। मलवा गिरते ही मार्ग पर जाम लग गया। इसी बीच टनकपुर से चम्पावत आ रहे डीएम भी मार्ग में फंस गए। करीब चार घंटे के इंतजार के बाद मलवा रुकने पर कंपनी ने मलवा हटाकर मार्ग को सुचारु किया। 12 बजे मार्ग पर आवाजाही शुरू हो सकी।
चम्पावत से बेलखेत के बीच ऑलवेदर रोड के द्वितीय पैकेज में पहाड़ कटिंग के बाद कई डेंजर जोन बन गए थे। कई डेंजर जोन को कार्यदायी शिवालया कंपनी ने ठीक कर लिया है लेकिन स्वाला स्थित पहाड़ी कंपनी व लोगों के लिए सिरदर्द बन रही है। पहाड़ी से रुक-रुक कर मलवा गिर रहा है। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना होने का अंदेशा बना हुआ है। शनिवार देर शाम करीब साढ़े सात बजे टनकपुर से आ रहा एक वाहन पहाड़ी से गिरे पत्थरों के बीच से निकालने लगा। इस बीच वाहन बीच में फंस गए। धीरे-धीरे कर कार पर पत्थर गिरने लगे। कंपनी के श्रमिकों की शिफ्ट चेंज होने की वजह से मौके पर कंपनी कर्मचारी भी नहीं थे। जब कंपनी अधिकारियों को इसके बारे में पता चला तो उन्होंने तत्काल कर्मचारियों को भेजकर कार को निकलवाई।
इससे पूर्व कार में सवार लोग कार से बाहर आ गए थे। कार निकालते ही पहाड़ी से तेजी से मलवा गिरने लगा। देखते ही पूरा रोड ब्लॉक हो गया। दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। करीब दो सौ से अधिक वाहन खड़े हो गए। करीब आठ बजे डीएम एसएन पांडे भी टनकपुर से आते वक्त वहां पहुंच गए और वह भी जाम में फंस गए। पहला जाम तो दूसरी ठंड से लोग परेशान हो उठे। मलवा रूकने के बाद कंपनी ने मलवा हटाना शुरू हुआ। करीब चार घंटे बाद रात्रि पौने 12 बर्ज मार्ग को कंपनी ने आवाजाही के लिए खोल दिया। जिसके बाद लोगों ने राहत की सांस ली।
डीएम ने एनएच की लगाई फटकार
डीएम पांडे ने सोमवार सुबह एनएच अधिकारियों की फटकार लगाते हुए कहा कि कंपनी व एनएच को पता है कि स्वाला का यह क्षेत्र डेंजर जोन है। पहड़ी से कभी भी मलवा आने से मार्ग बंद हो सकता है। इसके बावजूद भी वहां न तो लाइट की व्यवस्था है और न पानी व शौचालय की। प्रशासनिक अधिकरियों का मूवमेंट भी जीरो है। कंपनी द्वारा भी देरी से कार्य शुरू किया गया। शौचालय न होने से महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। जबकि पूर्व में निर्देश दिए गए हैं कि जाम लगने की स्थिति में एनएच या कंपनी को लोगों की सुविधा के लिए चाय पानी की व्यवस्था करनी होगी।