देहरादून। अगर आपने भी अपने वाहन का बीमा दलाल के जरिये कराया है तो एक बार उसकी सत्यता की जांच करा लें। कहीं ऐसा न हो कि वह बीमा फर्जी निकले और आप धोखाधड़ी के शिकार बन जाएं। इस स्थिति में वाहन के चोरी या दुर्घटनाग्रस्त होने पर आपको कोई हर्जाना नहीं मिलेगा। यात्री वाहनों, खासकर बस या टैक्सी में सफर करने वालों के लिए भी यह हानिकारक हो सकता है।
किसी भी वाहन का बीमा केवल चार प्रमुख कारणों से कराया जाता है। पहला वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने पर मरम्मत के खर्च से बचने के लिए, दूसरा वाहन चोरी हो जाने पर उसका क्लेम लेने के लिए व तीसरा किसी जान की नुकसान की भरपाई के लिए। चौथा कारण पुलिस व परिवहन विभाग की चेकिंग में जुर्माने से बचने का होता है। लेकिन, इन दिनों फर्जी बीमा का चलन तेजी से बढ़ा है। आनलाइन सुविधा होने के बाद दलाल या एजेंट आमजन को झांसे में लेकर जमकर धांधली कर रहे हैं।
इस स्थिति में ज्यादातर ग्राहकों से बीमा की पूरी रकम वसूली जाती है, लेकिन जब क्लेम लेने की बारी आती हैं तब यह बीमा फर्जी निकलते हैं। ज्यादातर फर्जी बीमा लेने वालों में ट्रक, बस व टैक्सी संचालक समेत दुपहिया वाहन स्वामी शामिल होते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि फर्जी बीमा प्रमाण पत्र आधे से भी कम राशि में बन जाता है। ऐसे व्यक्तियों का सिर्फ एक मकसद होता है कि बस पुलिस या परिवहन विभाग से बच लिया जाए। वहीं, दुर्घटना की स्थिति में यह फर्जीवाड़ा सबसे घातक साबित हो सकता है। अगर वाहन व्यावसायिक है तो यात्रियों को वाहन संचालक की यह करतूत जिंदगी पर भारी पड़ने समान है।