नगर, कस्बों और गांवों को छोड़कर अब अतिक्रमणकारी मठ-मंदिर क्षेत्रों में भी सेंधमारी करने लगे हैं। तृतीय केदार तुंगनाथ मंदिर क्षेत्र में बड़े स्तर पर अतिक्रमण को लेकर भूमि कटान किया गया है। यहां पत्थर के ढेर लगाए गए हैं और अस्थायी टिनशेड भी बनाया गया है। हक-हकूकधारियों व पुजारियों ने प्रशासन से मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की है।
तुंगनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बीते सात नवंबर को बंद हो गए हैं। इन दिनों यहां सन्नाटा पसरा हुआ है जिसका अतिक्रमणकारी फायदा उठा रहे हैं। सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में मंदिर से कुछ पहले पैदल मार्ग किनारे बड़े स्तर पर भूमि का कटान किया गया है। यहां दो-तीन स्थानों पर कटान से निकल रहे पत्थरों के ढेर लगाए गए हैं। साथ ही अस्थायी टिनशेड भी बनाए गए हैं।
वीडियो में हक-हकूकधारी व मंदिर के पुजारी रवींद्र मैठाणी का कहना है कि कपाट बंद होने के बाद मंदिर से जुड़े सभी हक-हकूकधारी, पुजारीगण, व्यापारी अपने-अपने घरों को चले गए थे। बीते 27 नवंबर को वे तुंगनाथ में अपने भवनों की देखरेख के लिए गए थे तो देखा कि वहां बड़े स्तर पर अतिक्रमण हो रहा है। भूूमि का कटान इस तरह से किया गया है कि वहां बने भवनों को खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने जिलाधिकारी से मामले की त्वरित जांच कर अतिक्रमणकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
एक वर्ष पूर्व पटवारी कर चुका निरीक्षण
पुजारी रवींद्र मैैठाणी का कहना है कि तुंगनाथ में मैठाणी ब्राह्मण परिवारों की नजूल भूमि है। बीते 10 जून को पंच पुरोहितों ने तुंगनाथ में अतिक्रमण की सूचना एसडीएम ऊखीमठ को दी थी। तब 15 जून को राजस्व उप निरीक्षक ने निरीक्षण किया था और 23 जून को आश्वस्त किया था कि अतिक्रमण हटाने के लिए कार्रवाई की जाएगी लेकिन अतिक्रमण जारी है।
तुंगनाथ क्षेत्र में अतिक्रमण का मामला गंभीर है। इस संबंध में उप जिलाधिकारी ऊखीमठ और केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग से भी जानकारी मांगी गई है। साथ ही उन्हें उचित कार्रवाई कर रिपोर्ट देने को कहा गया है। इसके अलावा शीतकाल में मंदिर क्षेत्र में पर्यटकों के पहुंचने को लेकर बीकेटीसी को भी अवगत कराया गया है। – मयूर दीक्षित, जिलाधिकारी रुद्रप्रयाग