देहरादून। अब आप पहाड़ के लाल चावल, झंगोरा, पहाड़ी दालें, अदरक और तमाम दूसरे उत्तराखंडी उत्पाद देश में कहीं से भी घर बैठे उत्तराखंड ई-एमसीपी मार्केटिंग कोऑपरेटिव प्लेटफार्म के जरिये मंगा सकेंगे। देश-विदेश में उत्तराखंडी उत्पादों की डिमांड को देखते हुए राज्य सहकारिता विभाग ने ऑनलाइन प्लेटफार्म तैयार किया है।
सहकारिता विभाग के अपर निबंधक आनंद शुक्ला की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में इस मुद्दे पर फैसला लिया गया। शुक्ला ने बताया कि इस काम के लिए 48 क्रय-विक्रय समितियों का चयन किया गया है। सभी समितियों के सचिवों एवं चेयरमैन से इस बारे में बातचीत कर कार्ययोजना तैयार कर ली गई है।
ये समितियां किसानों से उचित मूल्य पर उनकी उपज खरीदेंगी और उत्तराखंड ई-एमसीपी मार्केटिंग कोऑपरेटिव प्लेटफार्म के जरिये बाजार में आपूर्ति करेंगी। इसके अलावा किसानों के लिए जिनसे उत्पाद खरीदे जाने हैं, उनके लिए ई-एमपैक्स कोऑपरेटिव प्लेटफार्म और एक एप तैयार किया गया है, जिस पर उन्हें तमाम जरूरी जानकारियां उपलब्ध कराई जाएंगी।
अपर निबंधक शुक्ला ने कहा कि क्रय विक्रय समितियां इस काम को पूरा करने के लिए अपनी अचल संपति जैसे जमीन, भू भाग आदि का विवरण उपलब्ध कराते हुए अपनी सहमति निबंधक कार्यालय को उपलब्ध कराएंगी। ताकि वहां इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित किया जा सके। जिला सहायक निबंधक देहरादून राजेश चौहान ने क्रय विक्रय समिति के सचिवों एवं चेयरमैन से अपेक्षा की कि वह समिति सहमति पत्र प्रेषित करें। ताकि प्रभावी कार्यवाही की जा सके।
जनपद उत्तरकाशी से शुरू होगा अभियान
सहकारिता विभाग की मार्केटिंग का यह अभियान उत्तरकाशी जनपद से शुरू होगा। सहकारिता विभाग की मंशा है कि ग्रामीणों की जो उपज है, उसका उचित मूल्य उन्हें मिल सके। जिसे क्रय विक्रय समिति उचित मूल्य पर खरीदेंगी और उपभोक्ता व खरीदार को सप्लाई करेंगी।
समितियां करेंगी भंडारण, एप के माध्यम से होगा वितरण
उत्तरकाशी में सहकारिता विभाग के अंतर्गत क्रय विक्रय समिति को आत्मनिर्भर बनाने के लिए समिति भवन को 22 कमरों और एक सभागार, तीन रेस्ट रूम का स्ट्रक्चर बनाने की योजना पर भी सहमति बनी है। ईएमसीपी के माध्यम से किसानों से खरीदी गई उपजों को समिति में भंडारण करके मांग के अनुरूप खरीददारों को भेजा जाएगा।
पिछले करीब 20 सालों से सहकारिता विभाग से जुड़ीं तमाम क्रम-विक्रय समितियां प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पा रही थीं। अब इन्हें फिर से सक्रिय किया गया है। ई-मार्केटिंग के जरिये व्यापार से किसान और समितियों, दोनों को फायदा होगा। इसके अलावा लोगों शुद्ध और जैविक अनाज इत्यादि घर बैठे उपलब्ध हो सकेगा।
– आनंद शुक्ला, अपर निबंधक,सहकारिता विभाग