अब तक फीके पड़े स्कूल भवनों में मरम्मत के साथ ही पुताई, चित्रकारी और ज्ञानवर्धक श्लोकों-दोहों से नई जान फूंकने की कोशिश

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कोरोना महामारी ने लगातार दूसरे साल सरकारी स्कूलों को ताले लटकाने के लिए मजबूर कर दिया, लेकिन महामारी को हराकर जंग जीतने का हौसला बरकरार है। इसी हौसले के बूते स्कूल नए रूप-रंग में चमक-दमक बिखेरते दिखाई देंगे। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की पहल के बूते यह सब होगा। दीपावली यानी चार नवंबर तक प्रदेश के कक्षा एक से 12वीं तक साढ़े सोलह हजार सरकारी स्कूलों की रंगत बदली नजर आएगी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने गुरुवार को सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी किए।
कोरोना महामारी की वजह से प्रदेश में सरकारी और निजी स्कूल खुलने को तरस गए हैं। पिछला पूरा सत्र संकट के ऐसे दौर से गुजरा है। कक्षा एक से पांचवीं तक स्कूल तो नाम के लिए एक दिन भी नहीं खुले। सत्र के आखिरी दिनों में स्कूल खोलने का निर्णय किया गया तो पढ़ाई के लिए तय सत्र बीत चुका था। जो समय बचा था, उसमें परीक्षाएं भी कराई नहीं जा सकीं थीं। नए शैक्षिक सत्र में भी शुरुआती तीन महीने अप्रैल से जून तक स्कूल बंद ही हैं।सरकारी स्कूलों ने तो लंबे अरसे से चहल-पहल नहीं देखी। आबादी से दूर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों की रंगत भी हर रोज होने वाली देखरेख के अभाव में फीकी पड़ने लगी है। माना जा रहा है कि कोविड-19 वैक्सीन से बड़ी आबादी लाभान्वित होने के साथ कामकाज सुचारू होगा। कोरोना से जंग में अब तक फीके पड़े स्कूल भवनों में मरम्मत के साथ ही पुताई, चित्रकारी और ज्ञानवर्धक श्लोकों-दोहों से नई जान फूंकी जाएगी। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत इसमें खुद रुचि ले रहे हैं। उनके निर्देश पर बीते दिनों उनके मुख्य सलाहकार शत्रुघ्न सिंह शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर चुके हैं।

अब मुख्यमंत्री के निर्देशों के मुताबिक शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम ने गुरुवार को सभी जिलाधिकारियों को यह अहम जिम्मेदारी सौंपी है। शासनादेश में सभी सरकारी स्कूलों को जिला योजना के बजट की तकरीबन 10 से 15 फीसद राशि से भवनों की मरम्मत और दीवारों पर पुताई, चित्रकारी कराने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों को नए रंग-रूप में निखारने का ये काम दीपावली से पहले यानी चार नवंबर तक हर हाल में करना होगा। नौ नवंबर को राज्य स्थापना दिवस भी है।

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