देहरादून। कोरोना काल में बेहद सीमित संख्या के साथ प्रदेश के भीतरी मार्गों पर दौड़ रहीं रोडवेज बसों में भ्रष्टाचार के मामले कम नहीं हो रहे हैं। पिछले दो हफ्ते में बेटिकट मामलों में जिस तरह इजाफा हुआ है, उससे यह साफ हुआ है कि रोडवेज यूं ही करोड़ों के घाटे में नहीं जा रहा। ताजा मामले में बुधवार को चेकिंग टीम ने कोटद्वार डिपो की बस को पकड़ा तो उसमें 18 यात्री बेटिकट मिले। चेकिंग टीम ने अपनी रिपोर्ट निगम मुख्यालय और मंडल प्रबंधक को भेज दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट पर आरोपित चालक-परिचालक को ऑफरूट कर दिया गया है।
पिछले तीन दिन में यह चौथा मामला है, जब बस बेटिकट पकड़ी गई। जानकारी के मुताबिक बुधवार सुबह कोटद्वार डिपो की साधारण बस (यूके07पीए-2890) रोजाना की तरह धूमाकोट के लिए निकली। सूचना थी कि इस मार्ग पर बस बेटिकट दौड़ रही है। निगम मुख्यालय के आदेश पर मार्ग पर भेजी गई चेकिंग टीम ने बस को चेक किया तो उसमें 18 यात्री बेटिकट मिले। यात्रियों ने बताया कि परिचालक ने मशीन में खराबी आने की बात कहकर टिकट नहीं दिया और किराया पूरा लिया हुआ था। चेकिंग टीम के अनुसार बस पर नियमित चालक मदन सिंह व संविदा परिचालक प्रवीण बिष्ट तैनात थे। मंडल प्रबंधक संजय गुप्ता ने बताया कि चेकिंग टीम की विस्तृत रिपोर्ट मिलने पर ही आरोपित चालक और परिचालक के विरुद्ध नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
बैठक-दर-बैठक, सुधार नहीं
रोडवेज में बेटिकट मामलों को रोकने व आर्थिक सुधार के लिए पिछले तीन दिन से अलग-अलग स्तर पर बैठक हो रहीं, मगर नतीजा सिफर ही है। सोमवार को रोडवेज के नए प्रबंध निदेशक अभिषेक रूहेला की अध्यक्षता में बैठक हुई और मंगलवार को परिवहन मंत्री यशपाल आर्य ने बैठक की। बुधवार को परिवहन सचिव रंजीत सिन्हा ने रोडवेज की समीक्षा बैठक की। इसके बाद भी रोडवेज में भ्रष्टाचार नहीं थम रहा।