देहरादून। अब संस्कृत अकादमी का नाम ‘उत्तरांचल संस्कृत संस्थानम् हरिद्वार, उत्तराखण्ड’ होगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में मंगलवार को संस्कृत अकादमी उत्तराखंड की बैठक में लिया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र ने कहा कि भाषाओं की जननी संस्कृत को बढ़ावा देना बहुत जरूरी, जिससे हमारी प्राचीन संस्कृति के संरक्षण के साथ ही संस्कृत भाषा के प्रति युवाओं का रूझान बढ़ सके। उन्होंने कहा कि पहले जनपद एवं उसके बाद ब्लॉक स्तर पर संस्कृत ग्राम बनाए जाए। युवाओं को संस्कृत की अच्छी जानकारी होए समाज तक इसका व्यापक प्रभाव होए इसके लिए संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के साथ ही शोध कार्य पर विशेष ध्यान दिया जाय। मुख्यमंत्री ने कहा कि संस्कृत भाषाए वेद, पुराणों एवं लिपियों पर शोध कार्य पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इसके लिए बजट का सही प्रावधान हो। जो भी कार्य हों सभी परिणाम पर आधारित हों।
बैठक में निर्णय लिया गया कि संस्कृत के क्षेत्र में अच्छा कार्य करने वालों एवं पाण्डुलिपियों के संरक्षण के लिए बजट का प्राविधान किया जाएगा। डिजिटल लाइब्रेरी बनाई जाएगी। कुंभ मेले के अवसर पर अवसर पर विभिन्न आयोजन किए जाएंगे। इसके अलावा सम्मेलन, गोष्ठियांए प्रशिक्षण एवं कार्यशालाएं आयोजित की जाएंगी। संस्कृत अकादमी द्वारा संस्कृत भाष में विभिन्न प्रतियोगिताएं एवं संस्कृत नाट्य प्रशिक्षण भी दिए गए। इस दौरान सचिव विनोद रतूड़ी, संस्कृत अकादमी उत्तराखंड के उपाध्यक्ष प्रेमचन्द शास्त्री, सदस्य प्रोण् देवी प्रसाद शास्त्री, प्रोण् पीण्एनण्शास्त्री, प्रोण् वेदप्रकाश शास्त्री, प्रोण् राधेश्याम चतुर्वेदीए, डॉ ओमप्रकाश भट्ट, प्रो सुनील कुमार जोशी, भागीरथ शर्मा, सुभाष चन्द्र जोशी, सचिव डॉ आनन्द भारद्वाज एवं अन्य सदस्यगण उपस्थित थे।