बागेश्वर: उत्तराखंड में होमस्टे स्वरोजगार का एक प्रमुख साधन है। होम स्टे से जहां स्थानीय लोगों को रोजगार का जरिया बनता है वहीं होटल से सस्ता होने के कारण पर्यटकों को भी बहुत आकर्षित करता है। पर्यटन सीजन में अक्सर होटल पैक हो जाते हैं तो होम स्टे ही सहारा बनता है। सरकार पलायन रोकने के लिए व क्षेत्र में ही रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से होम स्टे बनाने के लिए अच्छी खासी सब्सिडी भी देती है।
हिमालय की तलहटी पर बसे गांवों में अब होमस्टे बनाना आसान हो गया है। पर्यटन विभाग 30 लाख रुपये तक ऋण मुहैया करा रहा है।गांवों में स्वरोजगार से पलायन रोकने की सरकार की योजना है। जिसके लिए स्थानीय युवक भी उत्साहित हैं।
कोरोनाकाल में लाकडाउन के बाद फिर से पहाड़ के गांव आबाद होने लगे हैं। लोगों में माटी के प्रति लगाव भी बढ़ रहा है। इसको लेकर सरकार भी संवेदनशील है। जिले में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। विश्व प्रसिद्ध पिंडारी, कफनी ग्लेशियर के अलावा सुंदरढूंगा घाटी साहसिक पर्यटकों को लुभाती रही है।
हिमालय की तलहटी पर बसे गांवों में पर्यटकों के रहने की उचित व्यवस्था को लेकर पर्यटन विभाग भी सतर्क हो गया है। इसके तहत होम स्टे बनने लगे हैं। 30 लाख रुपये तक ऋण दिया जा रहा है। ऋण पर 50 फीसद सब्सिडी है। इतना ही नहीं बैंक ब्याज पर 50 प्रतिशत और अधिकतम 1.50 लाख रुपये प्रति वर्ष भी पर्यटन विभाग जमा करेगा। ऋण जमा करने के लिए पांच वर्ष का समय रखा गया है।
कैसे करें आवेदन-इन डाक्यूमेंट को करें अपलोड
आनलाइन या फिर आफलाइन पर्यटन विभाग में आवेदन करना होता है। आनलाइन के पर्यटन विभाग की वेबसाइट https://uttarakhandtourism.gov.in/ पर आवेदन करना होगा। होम स्टे बनाने के लिए भूमि संबंधित प्रमाणपत्र, आगणन, ग्राम प्रधान से एनओसी, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, आधार कार्ड और बैंक से सहमति लेना जरूरी है।
जिला पर्यटन अधिकारी कीर्ती चंद्र आर्य ने बताया कि जिले में 114 होमस्टे पंजीकृत हैं। सबसे अधिक होमस्टे हिमालयी गांवों में बन रहे हैं। इस वर्ष 55 होमस्टे पंजीकरण कराने हैं। अभी तक तीन नए पंजीकरण हुए हैं। युवाओं को घर पर रोजगार देना और गांवों से हो रहे पलायन को रोकना सरकार की प्राथमिकता है।