देहरादून : प्रदेश में अवैध खनन पर रोक लगाने के लिए सरकार खनन क्षेत्रों पर ड्रोन से निगरानी की तैयारी कर रही है। प्रथम चरण में 50 स्थानों पर ड्रोन लगाए जाएंगे। साथ ही खनन क्षेत्रों के आसपास चेकपोस्ट स्थापित की जाएंगी। विभाग एक निगरानी तंत्र भी विकसित करने की तैयारी कर रहा है। इस पर लगभग 44 करोड़ रुपये व्ययभार आएगा।
उत्तराखंड में उपखनिज चुगान राजस्व प्राप्ति का एक बड़ा जरिया है। प्रदेश में जिन विभागों से सरकार को सर्वाधिक राजस्व प्राप्त होता है उनमें से खनन भी एक है। यही कारण है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए सरकार ने 1000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2021-22 में यह लक्ष्य 750 करोड़ रुपये था। इसके सापेक्ष विभाग को 575 करोड़ का राजस्व मिला।
सरकार के लिए यही सबसे बड़ा सिरदर्द अवैध खनन
दरअसल, प्रदेश में बड़े पैमाने पर अवैध खनन हो रहा है। सरकार के लिए यही सबसे बड़ा सिरदर्द है। नदी तल उपखनिज पूरे प्रदेश में पाया जाता है। दूसरे स्थान पर प्रदेश में लाइम स्टोन व सोपस्टोन, यानी चूने के पत्थर व खडिय़ा का खनन होता है। अवैध खनन के पीछे मुख्य कारण इसके जरिये मिलने वाले खनिज का बाजार भाव से सस्ता होना है।
दूसरा कारण खनन नीति में राजस्व लक्ष्य को बढ़ाने के लिए रायल्टी की दर को बढ़ाना है। अवैध खनन में न तो रायल्टी चुकानी पड़ती है और न ही माल वाहनों को ले जाने के लिए रवन्ना कटता है। इस कारण माफिया भवन निर्माण में उपयोग में लाई जाने वाली खनन सामग्री सस्ती दरों पर बेचते हैं।
वहीं कई बार खनन पट्टा धारक आसपास के खाली अथवा प्रतिबंधित स्थानों पर भी चोरी छिपे अवैध खनन शुरू कर देते हैं। कई बार तो खनन रोकने पहुंची पुलिस व प्रशासन की टीमों और खनन माफिया के बीच टकराव की घटनाएं भी सामने आई हैं। इसे देखते हुए विभाग खनन क्षेत्रों में निगरानी तंत्र को सशक्त बनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। खनन क्षेत्रों व इसके पास बनी चेकपोस्ट पर जीपीएस समेत अन्य सुविधाएं जुटाई जा रही हैं। निगरानी के लिए ड्रोन की तैनाती भी की जा रही है।