उत्तराखंड के अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान सूची में शामिल करने के नाम पर खेल चल रहा है। हैरानी की बात यह है कि खुद शासन की फाइलों में इस पर सवाल खड़े किए गए हैं। इसके बावजूद उच्च स्तर से आदेश जारी कर धड़ल्ले से महाविद्यालयों को अनुदान सूची में शामिल किया जा रहा है। अब तक छह महाविद्यालयों को इस सूची में शामिल कर लिया गया है। ताजा मामला पीजी कॉलेज धनौरी हरिद्वार का है। जिसमें भूमि और भवन की जांच पूरी हुए बिना ही महाविद्यालय को अनुदान की मंजूरी दी गई है।
शासन की ओर से हाल ही में जिस अशासकीय महाविद्यालय को अनुदान की सूची में शामिल किया गया है। उसके संबंध में शासन को पूर्व प्रधान धनौरी का शिकायती पत्र मिला है। इस पत्र में महाविद्यालय की भूमि को लेकर सवाल खड़ा किया गया है। कहा गया है कि सिंचाई विभाग द्वारा नेशनल इंटर कालेज को लीज पर दी गई भूमि की अवधि समाप्त होने के बाद किस आधार पर नेशनल इंटर कालेज की प्रबंध समिति ने महाविद्यालय को भूमि लीज पर दी।इसकी जांच की जाए। शासन की पत्रावली में कहा गया है कि शिकायत की सिंचाई विभाग उत्तरी खंड नहर रुड़की के अधिकारियों द्वारा जांच की जा रही है। भूमि के स्वामित्व का प्रकरण महत्वपूर्ण है। जिसे ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी के स्तर से मामले की जांच पर विचार किया जा सकता है। लेकिन शासन की इस सिफारिश के बावजूद भूमि की जांच हुए बिना ही महाविद्यालय को अनुदान सूची में शामिल कर दिया गया है।
अब तक इन महाविद्यालयों को अनुदान सूची में किया गया शामिल
शासन की पत्रावली में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश राज्य के आदेश संख्या 1560 दिनांक 21 अगस्त 2000 से संज्ञान में आया है कि भविष्य में किसी भी अशासकीय महाविद्यालय को अनुदान सूची में शामिल नहीं किया जाएगा न ही सहायता प्राप्त पाठ्यक्रमों को कोई वित्तीय सहायता दी जाएगी। पत्रावली में कहा गया है कि इस आदेश के संज्ञान में आने से पहले पांच अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान सूची में शामिल किया गया है।
जिन अशासकीय महाविद्यालयों को अब तक अनुदान सूची में शामिल किया गया है उसमें चंद्रावती तिवारी कन्या महाविद्यालय काशीपुर को वर्ष 2003 में, बालगंगा सैंदुल कैमर महाविद्यालय टिहरी को वर्ष 2009 में, राठ महाविद्यालय पैठाणी को वर्ष 2015 में, चमनलाल महाविद्यालय लंढौरा हरिद्वार को वर्ष 2017 में, हर्ष विद्या मंदिर पीजी कालेज रायसी हरिद्वार को वर्ष 2019 में एवं पीजी कालेज धनौरी हरिद्वार वर्ष 2021 में अनुदान सूूची में शामिल किया गया है।
अब तक नहीं बनी कोई नीति
प्रदेश में अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान सूची में शामिल किए जाने पर रोक है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के वर्ष 2000 में हुए इस आदेश के बाद वर्ष 2019 में त्रिवेंद्र सरकार में कैबिनेट में एक प्रस्ताव लाया गया कि अशासकीय महाविद्यालयों को अनुदान सूची में शामिल करने के लिए नीति बनाई जाएगी, लेकिन अब तक इसके लिए कोई नीति नहीं बनी, लेकिन महाविद्यालयों अनुदान सूची में शामिल किया जा रहा है।