मौसमी बदलाव के चलते वायरल फीवर के मरीजों की संख्या अचानक बढ़ गई है। सरकारी और निजी अस्पतालों की ओपीडी में मरीजों की भीड़ उमड़ रही है। इनमें बच्चे और बुजुर्गों के अलावा गर्भवती महिलाएं भी शामिल हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक मौसमी बदलाव में अधिक सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं। बीते एक सप्ताह से मौसम लगातार करवट बदल रहा है। दोपहर में पारा 38 डिग्री तक पहुंच रहा है तो शाम को उमस होने के बाद बारिश हो रही है। अचानक रात में ठंड होने से शरीर का तापमान मौसम के अनुकूल नहीं ढल पा रहा है। सर्द-गर्म होने से कमजोर इम्यूनिटी के लोग वायरल फीवर की चपेट में आ रहे हैं।
बुखार के साथ ही खांसी, जुकाम से लोग परेशान हो रहे हैं। हरिद्वार जिला अस्पताल में फिजिशियन की ओपीडी में पहले प्रतिदिन 15 से 20 मरीज आते थे, लेकिन आजकल वायरल फीवर के मरीजों की संख्या 40 तक पहुंच रही है। जिला अस्पताल के फिजिशियन डॉ. संदीप टंडन ने बताया कि मौसमी बदलाव से वायल फीवर की शिकायत बढ़ी हैं। बुजुर्गों और बच्चों की अधिक केयर करने की जरूरत है।
महिला अस्पताल में वायरल पीड़ित बच्चों की संख्या बढ़कर प्रतिदिन 30 से अधिक हो गई है। पहले पांच बच्चे ही सामान्य बुखार के मिलते थे। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संदीप निगम का कहना है कि अक्तूबर के दूसरे सप्ताह तक वायरल फीवर की समस्या बनी रहेगी। ज्वालापुर स्थित प्रेम हॉस्पिटल की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ. संध्या शर्मा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में फीवर की शिकायत आ रही हैं। गर्भवती महिलाओं की इम्यूनिटी सामान्य लोगों की तुलना में कमजोर होती है। महिलाओं को वायरल से बचने के लिए विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए। निजी अस्पतालों की ओपीडी में भी वायरल पीड़ितों की भीड़ लग रही है।
वायरल फीवर से ग्रस्त लोगों में कमजोरी की शिकायत हो रही है। कमजोरी वायरल ठीक होने के बाद भी महसूस हो रही है। शरीर में दर्द की शिकायत भी हो रही है। वायरल शरीर को तोड़ दे रहा है। वायरल फीवर के साथ ही मच्छरों से डेंगू और मलेरिया का भी खतरा बना हुआ है। आजकल मच्छरों की संख्या बढ़ गई है। इसी मौसम में डेंगू और मलेरिया का खतरा रहता है। इनसे बचने के लिए सतर्कता बरतने की जरूरत है।