देहरादून। देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए ) के आर्मी कैडेट काॅलेज (एसीसी) के 119वें दीक्षा समारोह में 40 कैडेट को पासआउट हुए। इन्हें जेएनयू की डिग्री से नवाजा गया। एसीसी में तीन साल के कड़े प्रशिक्षण और पढ़ाई के बाद ये कैडेट आईएमए की मुख्यधारा से जुड़ गए हैं। अब एक साल के प्रशिक्षण के बाद ये सेना में बतौर अधिकारी शामिल हो जाएंगे।
आईएमए के म्यूजियम स्थित सभागार में शुक्रवार सुबह आयोजित दीक्षांत समारोह में आईएमए के डिप्टी कमाडेंट मेजर जनरल आलोक ने कैडेट्स को स्नातक की उपाधि प्रदान किए। उपाधि पाने वालों में 16 विज्ञान और 24 कैडेट कला वर्ग में स्नातक हुए। कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने मेडल प्रदान किए। कमांडेंट ने अफसर बनने की राह पर अग्रसर कैडेटों को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं।
उन्होंने कैडेटों को याद दिलाया कि एसीसी ने देश को बड़ी संख्या में ऐसे जांबाज अफसर दिए हैं, जिन्होंने अपनी क्षमता के बलबूते कई पदक जीते, जिनमें न केवल आईएमए की प्रतिष्ठित स्वार्ड ऑफ ऑनर बल्कि असाधारण साहस व बलिदान के लिए मिलने वाले परमवीर चक्र व अशोक चक्र जैसे वीरता पदक भी शामिल हैं। आर्मी कैडेट काॅलेज के कई कैडेट सेना में उच्च पदों पर आसीन हुए हैं। एसीसी के प्रिंसिपल डॉ. नवीन कुमार ने भी सभी कैडेटों को डिग्री मिलने पर बधाई दी।
एसीसी का सफर
आर्मी कैडेट काॅलेज (एसीसी) की नींव दि किचनर काॅलेज के रूप में वर्ष 1929 में तत्कालीन फील्ड मार्शल बिर्डवुड ने नौगांव (मध्य प्रदेश) में रखी। 16 मई 1960 में किचनर काॅलेज आर्मी कैडेट काॅलेज के रूप में कार्य करने लगा। यहां से कोर्स की पहला दीक्षा समारोह 10 फरवरी 1961 को हुआ। वर्ष 1977 में काॅलेज भारतीय सैन्य अकादमी से अटैच कर दिया गया। वर्ष 2006 में कालेज आईएमए का अभिन्न अंग बन गया। कालेज सैनिकों को अधिकारी बनने का मौका देता है। यहं से पास होकर कैडेट आईएमए में जेंटलमैन कैडेट के रूप में प्रशिक्षण लेकर सैन्य अफसर बनने की खूबियां अपने भीतर समाहित करते हैं।