देहरादून। राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी की उत्तराखंड के विशिष्ट पर्वों को लोकप्रिय बनाने की मुहिम रंग लाने लगी है। बुधवार को उत्तराखंड व देश के अन्य राज्यों में ही नहीं दुनिया के कई मुल्कों में उत्तराखंड मूल के लोग ईगास यानी बूढ़ी दीपावली मनाएंगे। बलूनी ने देश में और देश से बाहर के सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों से ईगास पर्व मनाने की अपील की थी।
पलायन के कारण उत्तराखंड के अनेक लोक पर्वों को लोग भूल रहे हैं। अनेक गांव खंडहर में तब्दील हो गए हैं। पलायन को लेकर चिंता जताई जा रही है। इन सबके बीच लोक पर्व मनाने के बहाने एक उम्मीद की किरण जगी है। उत्तराखंड से राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने गत वर्ष घोषणा की थी कि वह अपने गांव में ईगास मनाएंगे।
कैंसर की वजह से अस्वस्थ होने के कारण उन्होंने अपने मित्र और भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा को अपने गांव ईगास मनाने भेजा था। साथ ही देशभर के प्रवासियों से अपने गांवों में ईगास मनाने की अपील की थी। ईगास के दिन गो पूजन और रात्रि में प्रकाश करके इस पर्व को मनाया जाता है। गढ़वाल क्षेत्र में ज्वलनशील लकड़ी के छोटे-छोटे पुलिंदों पर आग लगाकर उन्हें एक रस्सी के सहारे घुमाया जाता है, जिसे भैलो कहते हैं।