देहरादून। वर्तमान चयन वर्ष को रोजगार वर्ष घोषित किए जाने के बावजूद विभागीय स्तर पर खाली पदों को भरने के प्रयास काफी ढीले हैं। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का प्रयास है कि रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया रफ्तार पकड़नी चाहिए।
इसके लिए कार्मिक एवं सतर्कता विभाग की ओर से सभी विभागों, निगमों और उपक्रमों को समय समय पर आदेश जारी हो चुके हैं कि वे रिक्त पदों के अधियाचन अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और लोक सेवा आयोग को भेजें ताकि भर्ती प्रक्रिया आरंभ हो सके। लेकिन शासन स्तर पर लगातार निर्देश जारी होने के बावजूद विभागीय स्तर पर अधियाचन भेजने की प्रक्रिया धीमी है।
मुख्यमंत्री उन कारणों के बारे में जानना चाहते हैं जिनकी वजह से अधियाचन आयोग में नहीं पहुंच रहे हैं। पहले चरण में वे कारणों की पड़ताल करेंगे और दूसरे चरण में इन कारणों को दुरुस्त कर दोनों आयोगों से मसला उठाएंगे ताकि नौकरियों की राह देख रहे युवाओं को प्रवेश परीक्षाओं में शामिल होने के अवसर प्राप्त होते रहें।
आज राज्य सचिवालय में एक बैठक होगी, जिसमें सभी प्रशासनिक विभागों के सचिवों को खाली पदों पर भर्ती के संबंध में पूरे तथ्यों के साथ उपस्थित रहने को कहा गया है। मुख्यमंत्री विभागवार तथ्यों की पड़ताल करेंगे।
पिछले हफ्ते विभागों को भेजा गया था पत्र
पिछले हफ्ते अपर मुख्य सचिव कार्मिक राधा रतूड़ी ने सभी अपर मुख्य सचिवों, प्रमुख सचिवों, सचिवों व प्रभारी सचिवों को पत्र भेजा था कि वे मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक में शिरकत करेंगे। इस बैठक में सभी विभागों से 27 नवंबर तक खाली पदों से संबंधित सूचनाओं के साथ उपस्थित होने को कहा गया था।
पत्र में सूचना भेजने का एक प्रारूप दिया गया था, जिसमें प्रत्येक विभाग को स्वीकृत, भरे और रिक्त पदों के ब्योरे के साथ उनके भेजे गए अधिायचन का विवरण भी देना है। उन्हें यह भी बताना है कि विभिन्न आयोगों को भेजे गए अधियाचन पर भर्ती के लिए कब कब प्रवेश परीक्षा हुई।
आयोगों की सच्चाई का भी पता चलेगा
भर्ती प्रक्रिया में तेजी के लिए मुख्यमंत्री अधीनस्थ सेवा चयन आयोग और लोकसेवा आयोग से भी बात कर चुके हैं। शुक्रवार की बैठक में विभागों द्वारा भेजे गए अधियाचन (प्रस्ताव) और उनके आधार पर आयोगों द्वारा भर्ती प्रक्रिया में हो रही देरी की सच्चाई का भी पता चलेगा।
अनुभागों में तैयार होता रहा ब्योरा
बृहस्पतिवार को राज्य सचिवालय के कई अनुभागों में दिन भर सीएम की समीक्षा बैठक के लिए ब्योरे तैयार होते रहे। अनुभाग अधिकारी विभागों से स्वीकृत पदों और खाली पदों के ब्योरे के साथ उनके कारणों की भी जानकारी जुटा रहे थे।