आबकारी महकमे में शासन के आदेश बना चर्चाओं का विषय

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देहरादून उत्तराखंड राज्य में नेतृत्व परिवर्तन हो गया लेकिन राज्य के आबकारी महकमे की कार्यप्रणाली पर कोई असर नही पडा। मामला बेहद दिलचस्प और चौंकाने वाला है शासन का 1 जून का महतत्वपूर्ण पत्र जिसमें एक अफसर के खिलाफ बडी कार्रवाई कर सूचना जारी की गई थी को संबंधित जिले मे पंहुचने में 11 दिन लग गये सीधे संबंधित जिले को जाने वाला पत्र जिसमें बडी विभागीय कार्रवाई के बाद आदेश जारी किये गये थे दून जिले मे पंहुच गया। तमाम चर्चाओं व कयासों के बाद शासन के निर्णय का पत्र आबकारी महकमे  के आधिकारिक वाटसएप ग्रुप में कल जारी हुआ।
सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के बाद अब राज्य की कमान सीएम तीरथ सिंह रावत के हाथो में है। खास बात ये है कि एक बार फिर आबकारी महकमे की कमान सीएम तीरथ सिंह रावत के पास ही है। राजस्व के लिहाज से सबसे अहम विभाग की शायद अभी तक सीएम समीक्षा नही कर सके या फिर समय नही मिला। बरहाल शासन के पत्र का मामला बेहद चर्चाओ में बना हुआ है। शासन ने पहाड में तैनात एक अफसर के खिलाफ कार्रवाई के लिये आबकारी मुख्यालय को आदेश का पत्र भेज दिया। इस पर आबकारी मुख्यालय स्तर ने ये पत्र दून जिले को भेज दिया इस पत्र से दून जिले का कोई लेना देना ही नही था। ये पत्र सीधे संबंधित जिले में जिलाधिकारी को जाना चाहिये था। बरहाल ये महज संयोग था या जानबूझकर ऐसा हुआ ये नही कहा जा सकता। दूुन जिले में ये पत्र इंस्पेक्टर को इंस्पेक्टर से सिपाही को मार्क हो गया। सिपाही ये पत्र लेकर संबंधित जिले में चल पडा संबंधित जिले में इंस्पेक्टर ने ये पत्र यह कहकर लेने से मना कर दिया कि इसमें तो मेरा नाम नही मै कैसे रिसीव करूं। बरहाल बडी जद्दोजहद के बाद जैसे तैसे पत्र रिसिव हुआ। शासन के आदेशों के पालन कराने में आबकारी मुख्यालय की या तो दिलचस्पी नही थी या फिर ये सब महज इत्तेफाक ही था। बरहाल आबकारी मुख्यालय से लेकर जिला स्तर पर ये मसला सुर्खियो में है और चटखारे ले लेकर इसकी गूंज सुनाई दे रही है।
जिले में क्यों नही जाते अफसरराज्य में सत्ता चाहे कांग्रेस की हो या भाजपा की कुछ जिला आबकारी अधिकारियों पर इससे कोई फर्क नही पडता,वो अपने हिसाब से अवकाश पर लंबे लंबे अंतराल के लिये जिलों से गायब रहते है। आबकारी मुख्यालय के एक बडे और लंबे अर्से से तैनात अफसर की फुल कृपा भी चल रही है। हरियाणा उत्तर प्रदेश से जमकर तस्करी हो रही है ठेकों पर ओवररेटिंग से लेकर लॉक डाउन में गलत तरीके से शराब बिक्री की तमाम सूचनाओं पर आबकारी विभाग ने कोई संज्ञान नही लिया न ही कार्रवाई हुई है।

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