आरटीओ के फर्जी आदेश वायरल करने वाला आरोपित खनन कारोबारी गिरफ्तार

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देहरादून। आरटीओ देहरादून के स्थानांतरण का फर्जी आदेश वायरल करने के आरोपित को शहर कोतवाली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपित पेशे से खनन कारोबारी है। पूछताछ में उसने बताया कि विभाग में इस आदेश के बूते अपनी हनक दिखाकर अधिकारियों से वसूली करना चाहता था।

26 जून को देहरादून के आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई के स्थानांतरण का आदेश सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। 19 जून का यह आदेश शासन की ओर से जारी ही नहीं किया गया था। आदेश की सत्यता की प्रारंभिक जांच की गई तो पता चला कि आदेश फर्जी है। इस पर आरटीओ की ओर से शहर कोतवाली में मुकदमा दर्ज करा दिया गया।

डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने सीओ सिटी शेखर चंद्र सुयाल के नेतृत्व में एसआइटी गठित की। एसआइटी ने सबसे पहले आरटीओ से इसका पता किया कि उन्हें आदेश के किसके माध्यम से मिला। उन्होंने बताया कि यह आदेश उनके प्रशासनिक अधिकारी संजीव कुमार मिश्रा ने उन्हें भेजा था। संजीव ने बताया कि यह आदेश उन्हें उप परिवहन आयुक्त सुधाशु गर्ग ने भेजा था।

सुधांशु गर्ग ने बताया कि यह आदेश उन्हें कुलवीर नेगी निवासी आर्यनगर, डालनवाला ने भेजा था। चूंकि कुलवीर का परिवहन विभाग से कोई संबंध नहीं था, ऐसे में शक की सुई उस पर अटक गई। पुलिस ने जब उसके मोबाइल नंबर पर संपर्क करने की कोशिश की तो वह बंद मिला। इससे संदेह और भी पुख्ता हो गया।

पुलिस तभी से कुलवीर की तलाश में जुटी थी। पुलिस को पता चला कि कुलवीर सहस्रधारा हेलीपैड के पास किसी से मिलने जा रहा है। इस पर एसआइटी ने दबिश देकर उसे गिरफ्तार कर लिया। उसकी निशानदेही पर लैपटॉप और फोन बरामद कर लिया गया है। आरोप है कि इसी लैपटॉप पर आदेश तैयार कर फोन से सर्कुलेट किया गया था।

हनक दिखाकर करना चाहता था वसूली

पुलिस के अनुसार कुलवीर ने बीएससी करने के बाद कैपरी ट्रेड सेंटर में मोबाइल शॉप में काम किया था। यहीं पर मोबाइल से जुड़ी कई तकनीक के बारे में उसे जानकारी मिली थी। इसके बाद वह खनन कारोबार से जुड़ गया और अब उसके पास स्टॉकिंग का लाइसेंस है।

कुलवीर ने बताया कि मोबाइल शॉप में ही सुधांशु गर्ग से मुलाकात हुई थी, जिसके बाद भी जान-पहचान बनी रही। वह अपने राजनीतिक संपर्क के जरिये परिवहन से जुड़े कामों को लेकर गर्ग से कई बार मिलता रहा। उसने अपने रसूख का हवाला देकर गर्ग से कहा कि वह उनका तबादला देहरादून आरटीओ के पद पर करा देगा। इसके बदले में गर्ग से कुछ सिटी बसो के परमिट भी कराए। बाद में फर्जी आदेश पत्र बनाकर उन्हें भेज दिया गया, ताकि इसके बदले उनसे वसूली कर सके।

विवेचना में खुलेंगे कई और राज

कुलवीर की गिरफ्तारी के साथ यह तो साफ हो गया कि इस फर्जीवाड़े के पीछे कुछ और लोग भी शामिल हैं। जिनके बूते वह इतना बड़ा कदम उठाने को तैयार हो गया। कुलवीर ने सुधांशु गर्ग को भी घेरने की कोशिश की है, लेकिन उसकी बातों में कितनी सच्चाई है और उसके साथ और कौन लोग शामिल हैं। यह विवेचना में सामने आएगा।

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