इंद्रमणि बडोनी को यू हीं नहीं कहा जाता उत्तराखंड का गांधी, उनकी दूरदर्शी सोच का ही नतीजा है राज्य

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ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य आंदोलन के प्रणेता और यहां के गांधी स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी की जन्मतिथि पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावपूर्ण स्मरण किया। उन्होंने कहा कि बडोनी को यूं ही उत्तराखंड का गांधी नहीं कहा जाता। इसके पीछे महान तपस्या और त्याग रहा है।

वीरभद्र मार्ग स्थित कैंप कार्यालय में विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने इंद्रमणि बडोनी द्वारा चलाए गए उत्तराखंड राज्य आंदोलन की यादों को ताजा करते हुए कहा कि उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए आंदोलन की शुरुआत करने वाले इंद्रमणि बड़ोनी को उत्तराखंड का गांधी यूं ही नहीं कहा जाता है, इसके पीछे उनकी महान तपस्या व त्याग रहा है।

उन्होंने कहा कि राज्य आंदोलन को लेकर उनकी सोच और दृष्टिकोण को लेकर आज भी उन्हें शिद्​दत से याद किया जाता है। इंद्रमणि बडोनी आज ही के दिन यानी 24 दिसंबर, 1925 को टिहरी जिले के जखोली ब्लाक के अखोड़ी गांव में पैदा हुए थे। स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी एक साधारण परिवार में जन्मे, लेकिन उन्होंने इस प्रदेश कि लिए असाधारण काम किए थे।

बडोनी का जीवन अभावों में गुजरा था। उनकी शिक्षा गांव में ही हुई। इसके बाद उन्होंने स्नातक की उपाधि हासिल की थी। वे ओजस्वी वक्ता होने के साथ ही एक रंगकर्मी भी थे। लोकवाद्य यंत्रों को बजाने में निपुण थे। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलन में उनकी अहम भूमिका थी।

अग्रवाल ने कहा है कि आज उत्तराखंड राज्य युवा अवस्था में है और हमको इस राज्य को विकसित करने के लिए अपने कर्तव्य का इमानदारी से निर्वहन करने की आवश्यकता है। स्वर्गीय इंद्रमणि बडोनी के जयंती के दिन हमें राज्य को उन्नतिशील और विकसित राज्य बनाने का संकल्प लेना चाहिए।

इस अवसर पर राज्य आंदोलनकारी कमला नेगी, डोईवाला के ब्लाक प्रमुख भगवान सिंह पोखरियाल, सीमा रानी, क्षेत्र पंचायत सदस्य अमर खत्री, पूर्व प्रधान सतेंद्र धामंदा, पार्षद शिव कुमार गौतम, अरुण बडोनी, सुमित पवार, रविंद्र कश्यप, स्वरूप सिंह पुंडीर, राजेंद्र पांडे, भगवान सिंह महर, रीना शर्मा, कविता शाह, कमल कुमार उपस्थित थे ।

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