देहरादून: केंद्र सरकार की ओर से संसद में पेश किए जा रहे इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल के विरोध में बिजली कर्मी हड़ताल की तैयारी में हैं। यदि आज नया बिल संसद में रखा गया तो बिजली कर्मियों ने काम बंद कर प्रदर्शन का एलान किया है।
उत्तराखंड विद्युत अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष मोर्चा की रविवार को आपातकालीन बैठक आनलाइन हुई। जिसमें मोर्चा के समस्त घटक संगठन-एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रतिभाग किया।
जनविरोधी बिल का देशभर में विरोध
वक्ताओं ने कहा कि केंद्र सरकार की ओर से संसद के मानसून सत्र में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2022 को पारित किए जाने की तैयारी है। इस जनविरोधी बिल का देशभर में विरोध किया जा रहा है।
एक्ट में संशोधन से पावर सेक्टर, बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों पर दूरगामी विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है।
केंद्र सरकार ने नेशनल कोआर्डिनेशन कमेटी आफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर्स और आल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के बार-बार अनुरोध के बावजूद संशोधन को लेकर बिजली इंजीनियरों या कर्मचारियों से कोई वार्ता नहीं की है।
बिल पेश किए जाने और निजीकरण के विरोध में आज सोमवार को सभी जनपदों व परियोजना मुख्यालयों पर व जल विद्युत उत्पादन केंद्रों पर बिजली कर्मचारी और इंजीनियर व्यापक विरोध प्रदर्शन करेंगे।
बैठक में इंसारूल हक, केहर सिंह, बीरबल सिंह, जेसी पंत, राजवीर सिंह, विनोद कवि, कार्तिकेय दुबे, वाईएस तोमर, अमित रंजन, पंकज सैनी, विक्की दास, दीपक पाठक, राजेश तिवारी आदि शामिल हुए।
ऊर्जा कामगार संगठन ने दी आंदोलन की चेतावनी
उत्तराखंड ऊर्जा कामगार संगठन ने भी निजीकरण के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी है। संगठन के महामंत्री विजय बिष्ट ने कहा कि सभी कामगारों को सूचित किया है कि विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है कि यदि संसद में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पास होता है तो समस्त सदस्य बाहों पर काली पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन करेंगे। साथ ही विरोध स्वरूप अपना पेन डाउन और टूल डाउन कर गांधी वादी तरीके से सत्याग्रह करेंगे।