देहरादून। ऊर्जा विभाग के तीनों निगमों उत्तराखंड पावर कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल), पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटेड (पिटकुल) और उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड (यूजेवीएनएल) में एक अप्रैल 2020 के बाद भर्ती होने वाले किसी भी कर्मचारी-अधिकारी को पहले से मिल रही सस्ती दरों पर बिजली की सुविधा नहीं मिलेगी।
कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी बिजली की लिमिट फिक्स कर दी गई है। अब साल भर में 6000 से लेकर 9000 यूनिट बिजली ही कर्मचारी सस्ती दरों पर इस्तेमाल कर सकेंगे। इससे ज्यादा इस्तेमाल पर उनसे सामान्य उपभोक्ता की तरह ही बिल की वसूली होगी। बृहस्पतिवार को ऊर्जा निगम मुख्यालय में सचिव ऊर्जा राधिका झा की अध्यक्षता में आयोजित बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की बैठक में इन प्रस्तावों पर मुहर लगी।
बिजली कर्मचारियों को मिलने वाली सस्ती बिजली की सुविधा को लेकर एक याचिका पर हाईकोर्ट ने यूपीसीएल से जवाब मांगा है। तीनों निगमों से चर्चा के बाद यूपीसीएल ने जो प्रस्ताव बनाया था, उस पर कर्मचारी संगठनों ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। समझौते के बाद तीनों निगमों ने नया प्रस्ताव तैयार किया। बृहस्पतिवार को बीओडी की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई। करीब तीन घंटे चली बैठक के बाद कर्मचारियों को मिलने वाली बिजली की लिमिट को फिक्स करके फैसला किया गया।
तय हुआ कि साल भर में बिजली कर्मचारियों को 6000 से लेकर 9000 यूनिट बिजली ही सस्ती दरों पर मिलेगी। इसमें चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी 6000 और इससे ऊपर के अधिकारियों कर्मचारियों को 9000 यूनिट बिजली मिलेगी। एक अप्रैल 2020 से यह व्यवस्था लागू होगी। कोई भी कर्मचारी अगर इससे ऊपर बिजली का इस्तेमाल करेगा तो उसे सामान्य उपभोक्ताओं के समान बिजली का बिल चुकाना होगा। इसके साथ ही बैठक में यह प्रस्ताव भी पास हुआ कि अप्रैल 2020 के बाद तीनों निगमों में भर्ती होने वाले अधिकारियों, कर्मचारियों को सस्ती बिजली की कोई भी सुविधा नहीं दी जाएगी।
पिछली बीओडी की बैठक में यह हुआ था कि कर्मचारियों की बिजली दरों में हर साल दस प्रतिशत तक बढ़ोतरी की जाएगी। जिसका कर्मचारियों ने काफी विरोध किया था। इसलिए बीओडी ने तय किया कि कर्मचारियों पर भी वही सालाना वृद्धि दर लागू होगी जो विद्युत नियामक आयोग की आम उपभोक्ताओं के लिए निर्धारित करेगा। बैठक में बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के सदस्यों के साथ ही तीनों निगमों के एमडी और डायरेक्टर मौजूद रहे।
नए कार्मिकों की सुविधा बंद होने को लेकर संगठन नाराज, कोर्ट जाने की धमकी
तीनों निगमों में नए भर्ती होने वाले कर्मचारियों-अधिकारियों के लिए बिजली की सुविधा बंद करने के फैसले से कर्मचारियों में आक्रोश फैल गया है। कर्मचारियों ने इस निर्णय को कर्मचारियों के हितों के खिलाफ बताया है। अधिकारी कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक इंसारुल हक ने कहा कि इसके खिलाफ नियामक आयोग के साथ ही कोर्ट की शरण ली जाएगी।