उत्तराखंडः जिला पंचायतों को 200, क्षेत्र पंचायतों को मिलेंगे 172 करोड़ रूपये

0
169

देहरादून। उत्तराखंड की जिला और क्षेत्र पंचायतों को अब ग्राम पंचायतों की तरह ही केंद्र सरकार से पैसा (अनुदान) मिलेगा। पिछले चार साल से जिला और क्षेत्र पंचायतों को यह पैसा नहीं मिल रहा था। इस बार 15वें वित्त आयोग ने यह पैसा जारी करने की सिफारिश की है।

15वें वित्त आयोग की संस्तुति के तहत उत्तराखंड की त्रिस्तरीय पंचायतों को 574 करोड़ रुपये का अनुदान मिला है। आयोग ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि यह धनराशि वर्ष 2020-21 के लिए है। तीनों पंचायतों में बंटवारा राज्य वित्त आयोग की संस्तुति के हिसाब से होगा।

प्रदेश सरकार अपने टैक्स में जो राशि पंचायतों को देती है, उसका 35 प्रतिशत जिला पंचायत, 30 प्रतिशत क्षेत्र पंचायत और 35 प्रतिशत ग्राम पंचायतों को जाता है। इस हिसाब से केंद्र के पैसे का बंटवारा हुआ तो प्रदेश की 13 जिला पंचायतों को केंद्रीय अनुदान के रूप में करीब 200 करोड़ और 95 क्षेत्र पंचायतों को करीब 172 करोड़ रुपये मिलेंगे।

14वें वित्त आयोग ने लगाई थी रोक
केंद्रीय अनुदान में जिला और क्षेत्र पंचायतों की हिस्सेदारी 14वें वित्त आयोग ने खत्म की थी। इसके विरोध में प्रदेश में जगह-जगह प्रदर्शन हुए थे और दिल्ली में भी राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन हुआ था। इसी का दबाव था कि जिला और क्षेत्र पंचायतों के लिए प्रदेश सरकार को अपने स्तर से अधिक अनुदान देने की व्यवस्था करनी पड़ी थी।

ग्राम पंचायतों का हिस्सा घटा, प्रदेश सरकार लेगी फैसला
केंद्रीय अनुदान तीन स्तरों पर बंटने से अब ग्राम पंचायतों का हिस्सा घट गया है। पहले की स्थिति में इन्हें पूरे 574 करोड़ रुपये मिलते। अब प्रदेश की 7500 से अधिक पंचायतों को केवल 200 करोड़ रुपये मिलेंगे। ऐसे में ग्राम पंचायतों के लिए राज्य सरकार को अपना हिस्सा बढ़ाना होगा। इन्हें राज्य से 35 प्रतिशत अनुदान मिल रहा है। हिस्सा बढ़ाने का यह काम राज्य वित्त आयोग को करना होगा। अभी नए राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियां नहीं आई हैं और चैथे राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियां 2020-21 के लिए लागू हैं। इससे आगे के पांच सालों में अनुदान 15वें वित्त आयोग और राज्य के पांचवें वित्त आयोग की संस्तुतियों पर निर्भर करेेगा।

छावनी क्षेत्रों को भी हिस्सा देने को कहा
प्रदेश में नौ छावनी क्षेत्र हैं। 15वें वित्त आयोग ने शहरी निकायों को जारी किए अनुदान में छावनी क्षेत्रों को भी हिस्सा देने को कहा है। कुल अनुदान 278 करोड़ रुपये का है। आठ नगर निगम, 39 पालिकाओं और 47 नगर पंचायतों के साथ ही यह पैसा छावनी क्षेत्रों में भी बंटेगा। मुसीबत बंटवारे की है। प्रदेश सरकार इस समय राज्य स्तर पर जारी कुल अनुदान में से नगर निगमों को 40 प्रतिशत, पालिकाओं को 45 और नगर पंचायतों को 15 प्रतिशत दे रही है। अब यह तय किया जाना है कि किसका हिस्सा किस तरह से कम करके छावनियों को पैसा दिया जाए।

अब तीनों स्तर की पंचायतों को केंद्रीय अनुदान मिलेगा। यह बंटवारा चैथे राज्य वित्त आयोग की संस्तुतियों के आधार पर हो सकता है। वैसे 15वें वित्त आयोग ने ग्राम पंचायतों को 70 से 85 प्रतिशत, क्षेत्र पंचायतों को 10 से 25 प्रतिशत और जिला पंचायतों को पांच से 15 प्रतिशत देने का सुझाव दिया है। ग्रामीण पंचायतों के साथ ही शहरी निकायों के मामले में प्रदेश सरकार को फैसला लेना पड़ेगा।
– इंदु कुमार पांडे, अध्यक्ष, पांचवां राज्य वित्त आयोग

LEAVE A REPLY