देहरादून। गैरसैंण में मात्र चार दिन का सत्र आयोजित करने को लेकर फंसी प्रदेश सरकार अब बजट सत्र को दो हिस्सों में आयोजित कराने पर विचार कर रही है। इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है, लेकिन इस प्रस्ताव को विकल्प के रूप में देखा जा रहा है।
विधानसभा के स्तर से भी यह स्वीकार किया जा रहा है कि पहला सत्र और बजट को देखते हुए चार दिन का समय नाकाफी है। सरकार के सामने मजबूरी यह है कि मार्च के दूसरे सप्ताह में ही होली है। ऐसे में बजट सत्र को लंबा नहीं खींचा जा सकता है। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि होली से पहले ही राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के दौरे भी हो सकते हैं। इस स्थिति को देखते हुए ही सत्र चार दिन का प्रस्तावित किया था।
सत्र के विस्तार को लेकर भी सरकार पर दबाव
अब योजना बनाई जा रही है कि चार दिन का सत्र गैरसैंण में कर लिया जाए और कुछ समय के बाद सत्र को देहरादून में ही जारी रखा जाए। सूत्रों के मुताबिक अभी इस प्रस्ताव का विधिक रूप से भी परीक्षण किया जा रहा है। ऐसा हुआ तो यह पहली बार होगा जब प्रदेश में एक ही सत्र दो अलग-अलग स्थानों पर होगा। इसके साथ ही सत्र के विस्तार को लेकर भी सरकार पर दबाव बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री के प्रदेश से बाहर होने के कारण इस पर फैसला नहीं हो पाया है। इतना साफ है कि यह मामला प्रदेश सरकार के लिए अनसुलझी पहेली बनता जा रहा है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में ही एक माह से अधिक का सत्र आयोजित किया जा रहा है। उत्तराखंड में ही हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में कम दिनों तक सदन की कार्यवाही चलने का मसला उठा था। उस समय सुझाव दिया था कि छह माह में अनिवार्य रूप से सत्र आयोजित करने की जगह यह बाध्यता तीन माह के लिए की जाए।