देहरादून। कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण से मानवाधिकार आयोग भी खासा चिंतित है। इसे देखते हुए अधिकतर मामलों की सुनवाई पर पहले ही रोक लगा दी गई है, मगर आपात स्थिति के तहत को आयोग ने ऐसे मामले में सुनवाई की, जो कोरोना के खतरे से संबंध रखता था।
इसमें आयोग की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सुनवाई करते हुए मुख्य सचिव को निर्देश दिए कि संक्रमण से निपटने तक राज्य में किसी भी बाहरी व्यक्ति को प्रवेश न करने दिया जाए। शासन को लेकर कईं संस्तुति भी जारी की गई। यह दिशा निर्देश आयोग ने राजाजी टाइगर रिजर्व के अंतर्गत चैरासी कुटी में विदेशी सैलानियों के प्रवेश बेधड़क जारी रखने की शिकायत का संज्ञान लेते हुए जारी किए।
मानवाधिकार कार्यकर्ता भूपेंद्र कुमार ने 17 मार्च को आयोग को शिकायत भेजी थी कि पूरी सरकारी मशीनरी कोरोना के खात्मे में जुटी है। सभी सार्वजिनक एवं भीड़भाड़ वाले कार्यक्रम बंद कर दिए गए हैं। तमाम प्रतिष्ठानों को 31 मार्च तक बंद कराया गया है। वहीं, राजाजी टाइगर रिजर्व प्रशासन पर इसका असर नहीं पड़ रहा। स्पष्ट आदेश के बाद भी चैरासी कुटी में विदेशी सैलानियों की भीड़ जुट रही। ऐसे में कोरोना वायरस विकराल रूप धारण कर सकता है।
मामले को गंभीर मानते हुए आयोग अध्यक्ष वीके बिष्ट, सदस्य अखिलेश चंद्र शर्मा एवं राम सिंह मीणा की पीठ ने सुनवाई का निर्णय लिया। खंडपीठ ने कहा कि यह स्थिति बेहद गंभीर है। पिछले दिनों ही एक विदेशी सैलानी के सैंपल एम्स में लिए गए हैं और यहां अधिकारी नींद में हैं। आयोग ने कहा कि जब तक कोरोना वायरस का संक्रमण बंद नहीं हो जाता तब तक किसी भी विदेशी नागरिक को प्रदेश में प्रवेश न करने दिया जाए।
खंडपीठ ने कहा कि राज्य के बाहर से आने वाले श्रमिकों को भी प्रवेश न करने दिया जाए। जो भी चिकित्सा केंद्र बनाए गए हैं, उनके दूरभाष नंबर अखबारों में प्रकाशित कराए जाएं। ताकि जरूरत पड़ने पर लोग अपना परीक्षण करा पाएं। यह मसला प्रदेश के लोगों की जान से जुड़ा है। लिहाजा, इस दिशा में कराई गई कार्रवाई पर आयोग ने मुख्य सचिव से रिपोर्ट भी तलब की।
10 से अधिक लोग एक जगह न हों एकत्रित
मानवाधिकार आयोग ने यह भी निर्देश दिए कि प्रदेश में 10 से अधिक लोग एक जगह एकत्रित न हों। जांच रिपोर्ट के लिए भी ऐसी व्यवस्था करने को कहा कि लोग अस्पताल न आएं, बल्कि दूरभाष या ईमेल पर रिपोर्ट भेजी जा सके। आयोग ने निर्देश दिए कि आइसोलेशन केंद्रों में ऐसे इंतजाम किए जाएं कि लोग एक दूसरे के संपर्क में न आएं।