देहरादून। प्रदेश के दो मैदानी जिलों में आज कोहरे और शीतलहर का रेड अलर्ट जारी किया गया है। राजधानी में भी सुबह-शाम कोहरा मुसीबत बनेगा। हालांकि फिलहाल कहीं भी बारिश या बर्फबारी की संभावना नहीं है। सोमवार को जहां पर्वतीय क्षेत्रों में पाला मुसीबत बना रहा, वहीं मैदानी क्षेत्रों में कोहरे ने परेशानी में डाला। आज मंगलवार को देहरादून में सुबह की शुरुआत एक बार फिर कोहरे के साथ हुई। हालांकि नौ बजे बाद धूप खिलने से ठंड का प्रकोप कुछ कम हुआ।
देहरादून सहित हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और अन्य मैदानी इलाकों में रविवार की देर रात से ही घना कोहरा छा गया। सोमवार को सुबह सूरज के दर्शन नहीं हुए। करीब 11 बजे के बाद सूरज दिखाई दिया। दून में दिन में तेज धूप के चलते अधिकतम तापमान 22.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया जबकि न्यूनतम तापमान 6.8 डिग्री रिकॉर्ड हुआ।
मौसम विभाग के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया कि मंगलवार को हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में कोहरे का रेड अलर्ट जारी किया गया है। उन्होंने बताया कि मैदानी जिलों में मंगलवार को शीतलहर चलेगी। पर्वतीय जिलों में आंशिक बादल आ सकते हैं। हालांकि फिलहाल कहीं भी बारिश या बर्फबारी के आसार नहीं हैं। राजधानी में भी सुबह-शाम कोहरा जारी रहेगा।
तराई-भाबर में ठंड ने फिर बनाया रिकार्ड
दिसंबर माह में ठंड रिकार्ड बनाने पर कयाम है। पिछले 11 वर्षों में तराई-भाबर (नैनीताल-यूएसनगर) में सोमवार का दिन सबसे अधिक ठंडा रहा। 48 घंटों के भीतर ही अधिकतम तापमान 7.7 डिग्री सेल्सियस लुढ़क गया। राज्य मौसम विज्ञान केंद्र ने ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में मध्यम से घना कोहरा छाने और मंगलवार को ताममान और गिरने की संभावना जताई है।
सोमवार को हल्द्वानी में सुबह से ही कोहरा छाया हुआ था। दोपहर लगभग बाहर बजे सूर्यदेव ने दर्शन दिए। कुछ देर धूप खिलने के बाद फिर धुंध छा गई। साथ ही शीतलहर ने हाल बेहाल कर दिया। हल्द्वानी का अधिकतम तापमान 13.5 और न्यूनतम तापमान 8.4 डिग्री सेल्सियस रहा। 86 प्रतिशत नमी रही और 2.3 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से दक्षिण पश्चिम दिशा से हवा चली।
अधिकतम तापमान सामान्य से आठ डिग्री सेल्सियस कम रहा और न्यूनतम तापमान सामान्य से एक डिग्री सेल्सियस अधिक रहा। मुक्तेश्वर में अधिकतम तापमान 11.2 और न्यूनतम तापमान 2.6 डिग्री सेल्सियस रहा। अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस कम रहा। पंतनगर विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. आरके सिंह ने बताया कि मध्यम से घना कोहरा छाया रहेगा और दो दिनों तक ठंड से निजात मिलने की उम्मीद नहीं है।
बर्फ से पटे रास्तों से होकर यमुनोत्री धाम पहुंचे पुरोहित
सदियों से चली आ रहीं परंपरा का पालन करने के लिए पुरोहितों का दल बर्फ से लकदक रास्तों के बीच यमुनोत्री धाम पहुंचा, जहां उन्होंने सूर्यकुंड में पके चावल का प्रसाद तैयार करने के साथ ही यमुना का जल एकत्र किया, जिसे देश के कोने-कोने में बैठे मां यमुना के भक्तों तक पहुंचाया जाएगा। पुरोहितों ने बताया कि धाम क्षेत्र में अधिकतम तापमान माइनस तीन व न्यूनतम तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस है।
चारधाम यात्रा के प्रथम पड़ाव यमुनोत्री धाम में हर साल हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं, जिन्हें मां यमुना के प्रसाद के रूप में यमुना जल व सूर्यकुंड में पके चावलभेंट किए जाते हैं। हालांकि शीतकाल में कपाट बंद होने के बाद श्रद्धालु खरसाली गांव स्थित यमुना मंदिर में दर्शन करने आते हैं, लेकिन ठंड के कारण कई बुजुर्ग व बीमार नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे में पुरोहित समाज इन भक्तों के घर-घर जाकर मां यमुना का प्रसाद पहुंचाने की परंपरा निभा रहा है।
रविवार को तीर्थ पुरोहितों का दल यमुनोत्री धाम पहुंचा। धाम में विशेष पूजा-अर्चना कर उन्होंने सूर्यकुंड में चावल की पोटली डालकर प्रसाद तैयार किया। साथ ही बर्फ हटाकर यमुना का जल एकत्र किया, जिसे लेकर देर शाम तक सभी पुरोहित खरसाली लौटे। दल में शामिल कुलदीप उनियाल, मनीष उनियाल, वीरेंद्र उनियाल, पारस उनियाल ने बताया कि धाम क्षेत्र में अधिकतम तापमान माइनस तीन व न्यूनतम तापमान माइनस 10 डिग्री सेल्सियस है।
धाम की सुरक्षा कर रहे पुलिस के जवान
शीतकाल के लिए कपाट बंद होने के बाद से खाली पड़े यमुनोत्री धाम में इस वक्त चार पुलिस कांस्टेबल तैनात हैं। धाम से लौटे कुलदीप उनियाल ने बताया कि धाम में पेयजल आपूर्ति ठप होने के कारण जवानों को बर्फ पिघलाकर पानी पीना पड़ रहा है। संचार सेवाएं ठप है। ऐसे में उन्हें बात करने के लिए मोबाइल फोन से बात करने के लिए जानकीचट्टी के करीब आना पड़ रहा है।
ब्रह्मताल में चार फीट बर्फ, झंडीधार से लौट रहे पर्यटक
पिछले दिनों हुई बर्फबारी के बाद देवाल में प्रकृति ने सुंदर छटा बिखेरी है। यहां काफी संख्या में देश-विदेश से पर्यटक भींकलताल व ब्रह्मताल देखने के लिए आ रहे हैं, लेकिन मार्ग पर चार फीट से अधिक बर्फ होने के कारण वे झड़ीधार से आगे नहीं पहुंच पा रहे हैं। ऐसे में पर्यटकों को आधे रास्ते से लौटना पड़ रहा है।
रूपकुंड ट्रेकिंग रूट बंद होने के बाद स्थानीय युवाओं के लिए नया ट्रेकिंग रूट लोहाजंग-भींकलताल-ब्रह्मताल चयनित किया गया। ट्रेकिंग संस्थाओं के साथ मिलकर इस रूट का प्रचार-प्रसार किया गया तो इन दिनों यहां पर्यटकों का तांता लगा है। इन दिनों भींकलताल-ब्रह्मताल बर्फ से ढका है। इस बार इस रूट पर रिकार्ड बर्फबारी हुई है।
दिसंबर 2018 में पर्यटक ब्रह्मताल तक गए थे, लेकिन इस साल पर्यटक भींकलताल से आगे दो किमी झंडीधार तक ही जा पा रहे हैं। लोहाजंग के होटल व्यवसायी इंद्र राणा ने ?कहा कि भींकलताल-ब्रह्मताल रूट में ट्रेकर बढ़ने से लोगों में उत्साह है। लोहाजंग में रोजाना दो सौ से तीन सौ पर्यटक हर रोज पहुंच रहे हैं। भींकलताल से लौटे बंगलूरू के पर्यटक अभिषेक और मनोज ने बताया कि झंडीधार से आगे लगभग चार फीट बर्फ है, जिससे पर्यटक आगे नहीं जा पा रहे हैं।
लोहाजंग-भींकलताल-ब्रह्मताल रूट की वन विभाग की ओर से समय-समय पर मरम्मत की जाती है। मार्ग पर विभाग ने पेयजल आदि की व्यवस्था की है। यहां के सौंदर्यीकरण के लिए कार्ययोजना भेजी गई है।
– टीएस बिष्ट, रेंजर वन विभाग देवाल