उत्तराखंडः राशन में गेहूं और चावल की मात्रा रहेगी समान

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देहरादून। प्रदेश के 10.27 लाख एपीएल उपभोक्ताओं को दोगुना राशन के रूप में अब गेहूं और चावल बराबर-बराबर यानी 7.5-7.5 किलो दिया जाएगा। मंत्रिमंडल के बीते रोज लिए गए फैसले में इस आंशिक संशोधन पर सहमति बन चुकी है। शासन जल्द आदेश जारी करेगा। वहीं सभी राशन कार्डधारकों को दाल जल्द उपलब्ध होगी। केंद्र सरकार ने राज्य के लिए दालों के स्टॉक को हरी झंडी दिखा दी है।

राज्य खाद्य योजना के तहत सालाना पांच लाख से कम आमदनी वाले एपीएल उपभोक्ताओं को राहत देते हुए मंत्रिमंडल ने उन्हें तीन महीने अप्रैल से जून तक दोगुना खाद्यान्न देने का निर्णय लिया है। वर्तमान में उक्त योजना में शामिल करीब 40 लाख यूनिट वाले 10.27 लाख राशनकार्डधारकों को प्रतिमाह पांच किलो गेहूं और 2.50 किलो चावल दिया जाता है। खाद्यान्न दोगुना होने पर उन्हें 10 किलो गेहूं और पांच किलो चावल दिया जाने की व्यवस्था है।

खाद्य सचिव सुशील कुमार ने कहा कि उक्त फैसले में आंशिक बदलाव किया गया है। यह तय किया गया है कि गेहूं की मात्र पांच किलो से बढ़ाकर 7.5 किलो और चावल की मात्र 2.5 किलो से बढ़ाकर 7.5 किलो की जाएगी। दोगुना खाद्यान्न मौजूदा दरों यानी गेहूं प्रति किलो 8.60 रुपये और चावल प्रति किलो 11 रुपये के हिसाब से राशनकार्डधारकों को मिलेगा।

मुख्यमंत्री दालपोषित योजना के तहत राज्य के सभी 23.80 लाख राशनकार्डधारकों को अगले महीनों मई और जून में दाल मिलने में परेशानी नहीं होगी। अगले दो महीनों में एक किलो मसूर और एक किलो चना कुल दो-दो किलो दाल मुहैया कराई जाएगी। दाल उपलब्ध कराने के लिए नैफेड को निर्देश दिए जा चुके हैं। खाद्य सचिव सुशील कुमार ने बताया कि केंद्र सरकार की ओर से अंत्योदय और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के करीब 13.46 लाख राशनकार्डधारकों को एक-एक किलो मुफ्त दाल जल्द मिलेगी।

जिलों में गरीबों को बांटी जा रही है राशन किट

खाद्य सचिव ने बताया कि जिलों में जिलाधिकारियों की ओर से राशनकार्ड से वंचित गरीबों, असहायों और जरूरतमंदों को गरीब किट के रूप में राशन उपलब्ध कराया जा रहा है। ऐसे लोगों को जिला स्तर पर चिह्नित कर राशन देने के लिए सभी जिलाधिकारियों को मुख्यमंत्री कोष से धनराशि दी जा चुकी है। ऐसे लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली का सस्ता खाद्यान्न मुहैया कराने की योजना नहीं है। सरकार के प्रवक्ता व काबीना मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि जिन गरीब और असहाय लोगों के पास राशनकार्ड नहीं है, उन्हें गरीब किट के रूप में जिलों में खाद्यान्न वितरण का काम जिलों में चल रहा है।

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