उत्तराखंडः सुप्रीम कोर्ट में आज प्रमोशन और आरक्षण के मामले में सुनवाई

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देहरादून। प्रदेश के हजारों कर्मचारियों की निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर लगी है। आज न्यायालय ने प्रमोशन में आरक्षण के मसले पर दाखिल एसएलपी पर सुनवाई करनी है। आरक्षण के समर्थन और विरोध में आंदोलन कर रहे संगठन न्यायालय से कोई न कोई फैसला आने की उम्मीद कर रहे हैं। ऐसे संकेत हैं कि मामला फिर अगली सुनवाई के लिए टलता है तो कर्मचारी संगठन पदोन्नति पर लगी रोक हटाने के लिए आंदोलनों को और अधिक तेज कर देंगे।

पदोन्नति में आरक्षण के मामले में प्रदेश सरकार की ओर से भी सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुग्रह याचिका (एसएलपी) दाखिल है। उत्तराखंड एसी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन और सेवायोजन कार्यालय के एक अधिकारी के स्तर पर भी अलग-अलग एसएलपी दाखिल हैं। इन विशेष याचिकाओं पर न्यायालय को सुनवाई करनी हैं।

अपना पक्ष मजबूती से रखने के लिए वे काफी होमवर्क के साथ कोर्ट में उतरेंगे।
एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन की ओर से सुप्रीम कोर्ट वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल पैरवी कर सकते हैं। सरकार की ओर से पूर्व अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी पैरवी करेंगे। शासन और संगठनों के पदाधिकारी दिल्ली रवाना हो चुके हैं।

16 के बाद आर-पार की जंग
उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी ने सुप्रीम कोर्ट से फैसला आने की उम्मीद की है। उन्होंने कहा कि यदि न्यायालय में मामला अगली सुनवाई के लिए टल गया तो एसोसिएशन अपने आंदोलन पर नए सिरे से विचार करेगी।

16 जनवरी को देहरादून में प्रदेश के सभी प्रमुख कर्मचारी संघों और परिसंघों के पदाधिकारियों का एक हाईपावर कमेटी बनाई गई है जो आर पार की जंग को लेकर रणनीति बनाएगी। एसोसिएशन का आंदोलन प्रमोशन पर लगी रोक हटाने को लेकर लड़ा जाएगा।

फेडरेशन को भरोसा है कि न्यायालय से सकारात्मक फैसला आएगा। हमारी ओर से न्यायालय में यह पक्ष रखा जाएगा कि जब सरकार ने एससी एसटी कर्मचारियों के सरकारी नौकरी में प्रतिनिधित्व को लेकर इंदु कुमार समिति और जस्टिस इरशाद हुसैन आयोग की रिपोर्ट तैयार है तो सरकार ने उसे सार्वजनिक क्यों नहीं किया?
– करम राम, प्रदेश अध्यक्ष, एससी एसटी इंप्लाइज फेडरेशन

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