उत्तराखंड की लोक कला के संरक्षण की अनोखी पहल, ऐपण में नजर आने लगे पुलिस के संदेश

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ऋषिकेश: उत्तराखंड की लोक परम्परा ऐपण चित्रकला ऋषिकेश के लक्ष्मण झूला क्षेत्र में जी-20 आयोजन में चार चांद लगाने जा रही है। पुलिस प्रशासन की ओर से जनता की सुविधा आर्थिक जारी किए गए सभी संदेश को ऐपण कला के माध्यम से यहां की सार्वजनिक दीवारों में उकेरा गया है। पुलिस विभाग की यह अभिनव पहल सभी को भा रही है।

इस माह के अंत में जी-20 के तहत कई कार्यक्रम ऋषिकेश के मुनिकीरेती, स्वर्गाश्रम क्षेत्र में प्रस्तावित है। जी-20 से जुड़े विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्ष और डेलिगेट्स इस दौरान यहां आएंगे। उनके स्वागत के लिए सभी विभाग अपने अपने स्तर पर तैयारी में जुटे हुए हैं।

पुलिस की ओर से अनूठी पहल
पौड़ी जिला पुलिस की ओर से इस दिशा में अनूठी पहल की गई है। सामान्य तौर पर पुलिस के गौरा शक्ति एप, साइबर फ्राड, हेलमेट की अनिवार्यता, पुलिस कंट्रोल रूम आदि की जानकारी सामान्य भाषा और साइनेज के माध्यम से दी जाती है। लेकिन लक्ष्मण झूला और स्वर्गाश्रम क्षेत्र में इन सभी संदेश को उत्तराखंड की परंपरागत लोक कला ऐपण में ढाला गया है।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक पौड़ी श्वेता चौबे ने बताया कि जनपद के थाना लक्ष्मणझूला क्षेत्रान्तर्गत आगामी जी-20 कार्यक्रम के दृष्टिगत थाना लक्ष्मणझूला परिसर की दीवारों पर उत्तराखंड ऐपण चित्रकला का प्रयोग करते हुए साइबर फ्राड, महिला सम्बन्धी अपराध, उत्तराखंड पुलिस एप के गौरा शक्ति मोड्यूल एवं यातायात नियमों की जानकारी देकर जागरूकता फैलाने का प्रयास किया गया है। जिससे उत्तराखंड की लोक संस्कृति कला ऐपण का देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ विदेशों में काफी प्रचार-प्रसार होगा। वर्तमान में लक्ष्मण झूला क्षेत्र में आने वाले पर्यटकों एवं श्रद्धालुओं की ओर से पहाड़ी धरोहर ऐपण चित्रकला की काफी सराहना की जा रही है। ऐपण चित्रकला को आध्यात्मिक एवं सकारात्मक उर्जा का प्रतीक माना जाता है।

क्या है ऐपण कला
ऐपण कला का अर्थ होता है, लीपना या अंगुलियों से आकृति बनाना। ऐपण एक प्रकार की अल्पना या आलेखन या रंगोली होती है, जिसे उत्तराखंड कुमाऊं क्षेत्र के निवासी अपने शुभ कार्यो मे इसका चित्रांकन करते हैं।

उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में किसी त्यौहार या शुभकार्यों के अवसर पर भूमि और दीवार पर, चावल के विस्वार (पिसे चावलों के घोल) गेरू (प्राकृतिक लाल मिट्टी या लाल खड़िया) हल्दी,जौ, पिठ्या (रोली) से बनाई गई आकृति, जिसे देख मन मस्तिष्क में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, और सकारात्मक शक्तियों के आवाहन का आभास होता है।

यह उत्तराखंड की पारम्परिक और पौराणिक लोक कला ऐपण है। ऐपण कला का इतिहास अनन्त है। ऐसा माना जाता है, कि कुमाऊं की प्रसिद्ध लोककला ऐपण,पौराणिक काल से अनंत रूप में चली आ रही है। इस कला का तंत्र मंत्र व आद्यात्म से जुड़ाव है।

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