देहरादून। पावर ट्रासमिशन कारपोरेशन लिमिटेड (पिटकुल) के मंदाकिनी नदी घाटी में निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादित विद्युत ऊर्जा की निकासी के लिए 220 केवी डीसी ब्रह्मावारी (रुद्रपुर) – श्रीनगर पारेषण लाइन का निर्माण पूरा कर लिया गया है।
उत्तराखंड समेकित पारेषण परियोजना (यूआइटीपी) के तहत बनी इस पारेषण लाइन की लंबाई 150 सर्किट किलोमीटर है। यह 2004 में पिटकुल की स्थापना के बाद बनाई गई अब तक की सबसे लंबी पारेषण लाइन है। पिटकुल के प्रबंध निदेशक अतुल कुमार अग्रवाल ने बताया कि लाइन के निर्माण पर 170 करोड़ रुपये की लागत आई है।
यह पारेषण लाइन से पौड़ी गढवाल, रुद्रप्रयाग और टिहरी के दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों से होकर गुजर रही है। उन्होंने बताया कि लाइन के निर्माण कार्य को 24 माह से कम समय में पूरा किया गया। लॉकडाउन के कारण केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण, पावर ग्रिड एवं एनआरएलडीसी से लाइन के ऊर्जीकरण की स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया में थोड़ा समय लगने के कारण लाइन को बीते दो जून को ऊर्जीकृत यानी पावर सप्लाई दी गई।
इस लाइन से निर्माणाधीन 99 मेगावाट की सिंगोली भटवारी जल विद्युत परियोजना, 76 मेगावाट फाटाव्योंग जल विद्युत परियोजना के साथ उत्तराखंड जल विद्युत निगम की 15 मेगावाट की मध्यमहेश्वर, चार मेगावाट की काली गंगा-प्रथम तथा 4.5 मेगावाट की काली गंगा-द्वितीय लघु जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादित बिजली की निकासी कर ग्रिड तक पहुंचाई जाएगी।
राज्य को मिलेगी 12 प्रतिशत बिजली
इस पारेषण लाइन से निजी क्षेत्र की परियोजनाओं से पैदा होने वाली बिजली की भी सप्लाई ग्रिड तक होगी। इस ऊर्जा का 12 प्रतिशत अंश राज्य सरकार को रायल्टी के रूप में प्राप्त होगा। जिससे राज्य को मुफ्त बिजली के साथ निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जा सकेगी।
केदारनाथ में जल्द दूर होगी बिजली की समस्या
पिटकुल के अनुसार 220 केवी डीसी ब्रह्म्वारी (रुद्रपुर)-श्रीनगर पारेषण लाइन को भविष्य में रुद्रप्रयाग में प्रस्तावित 220 केवी उपसंस्थान रुद्रपुर (गुप्तकाशी) से भी जोड़ा जाएगा। जिससे केदारनाथ की विद्युत आपूर्ति के साथ रुद्रप्रयाग के अन्य क्षेत्रों में निर्बाध आपूर्ति हो सकेगी।