उत्तराखंड के अंतिम गांव नीती के टिम्मरसैंण में भी होगी बाबा बर्फानी की यात्रा

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देहरादून। अमरनाथ की तरह उत्तराखंड में भी बाबा बर्फानी विराजते हैं। चमोली जिले में भारत-चीन सीमा पर अंतिम गांव नीती के पास टिम्मरसैंण नामक पहाड़ी पर स्थित गुफा में बर्फ का शिवलिंग आकार लेता है। गुफा में टपकने वाला जल शिवलिंग का अभिषेक करता है। पहाड़ों पर बर्फबारी अच्छी रही तो अप्रैल-मई तक शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं। टिम्मरसैंण के इनर लाइन की बंदिशों से मुक्त होने के बाद अब उत्तराखंड सरकार इसके प्रचार-प्रसार के लिए योजना बनाने में जुट गई है। इसके साथ ही मार्च में टिम्मरसैंण महादेव की यात्र के आयोजन की तैयारी है।

चीन सीमा से सटे चमोली जिले के अंतर्गत जोशीमठ से 82 किलोमीटर के फासले पर नीती घाटी में है नीती गांव। इसी के नजदीक है टिम्मरसैंण महादेव यानी बाबा बर्फानी की गुफा। शीतकाल में इसमें आकार लेने वाले शिवलिंग की ऊंचाई छह से आठ फुट तक होती है। स्थानीय निवासी तो यहां पूजा-अर्चना करते हैं, लेकिन इनर लाइन की बंदिशों के कारण अन्य क्षेत्रों के श्रद्धालुओं को यहां आने की अनुमति नहीं थी।

दरअसल, यह क्षेत्र सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इसीलिए इसे इनर लाइन के दायरे में रखा गया था। टिम्मरसैंण के धाद्दमक महत्व के साथ क्षेत्र में साहसिक पर्यटन के दृष्टिगत राज्य सरकार ने केंद्र में दस्तक दी। पिछले वर्ष दिसंबर में केंद्र सरकार ने इनर लाइन को आगे खिसकाते हुए टिम्मरसैंण को इससे बाहर कर दिया। अब राज्य सरकार ने यहां तीर्थाटन और पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा देगी।

यात्र के लिए चल रही तैयारियांः चमोली जिले के जिला पर्यटन विकास अधिकारी बृजेंद्र पांडेय के अनुसार, इनर लाइन से बाहर होने के बाद अब टिम्मरसैंण के लिए इनरलाइन परमिट लेने की जरूरत नहीं होगी। मार्च से टिम्मरसैंण महादेव यात्रा के मद्देनजर सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) से जोशीमठ-नीती सड़क खुली रखने का आग्रह किया गया है। वह बताते हैं कि नीती गांव के नजदीक से टिम्मरसैंण पहुंचने के लिए करीब दो किमी का पैदल ट्रैक है। क्षेत्र की विषम परिस्थितियों को देखते हुए यात्रियों की संख्या के निर्धारण को लेकर मंथन जारी है। साथ ही नीती और आसपास के गांवों में यात्रियों के ठहरने के मद्देनजर भी व्यवस्थाएं जुटाई जानी हैं, जिसकी रूपरेखा तैयार हो रही है। पांडेय के अनुसार, यात्रा के लिए उन्हीं व्यक्तियों को प्राथमिकता दी जाएगी, जो शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ हों।

तीर्थाटन के साथ साहसिक पर्यटन भीः उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित चमोली जिले के मलारी, बांपा, गमशाली व नीती देश के सीमांत गांव हैं। शीतकाल में अत्यधिक बर्फबारी होने पर इन गांवों के निवासी जोशीमठ समेत निचले क्षेत्रों में आ जाते हैं। इसके बावजूद तीर्थाटन और साहसिक पर्यटन के दृष्टिकोण से यह पूरा क्षेत्र खासा महत्व वाला है। बर्फ से लकदक चोटियों के साथ ही बुग्यालों (उच्च हिमालय में घास के मैदान) का मनोरम नजारा हर किसी को मोहपाश में बांध लेता है तो टिम्मरसैंण में बाबा बर्फानी के दर्शन नए उत्साह का संचार करते हैं।

उत्तराखंड के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि टिम्मरसैंण यात्रा शुरू होने से जहां देवभूमि में भी देशभर के पर्यटकों व श्रद्धालुओं को बाबा बर्फानी के दर्शन होंगे। वहीं, इस सीमांत क्षेत्र में तीर्थाटन और पर्यटन की गतिविधियां शुरू होने से रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इससे सीमांत क्षेत्रों से पलायन भी थमेगा, जो सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक है। मार्च से टिम्मरसैंण यात्रा प्रांरभ करने के दृष्टिगत जोशीमठ-नीती मार्ग पर स्नो कटर समेत अन्य जरूरी उपकरणों की व्यवस्था की जा रही है, ताकि बर्फबारी होने पर मार्ग बंद न हो। इसके साथ ही टिम्मरसैण के देशभर में प्रचार-प्रसार की कार्ययोजना का खाका भी खींचा जा रहा है।

 

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