देहरादून। प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में अब नॉन क्लीनिकल पीजी की पढ़ाई एक लाख रुपये में होगी। सात साल के बाद नॉन क्लीनिकल पीजी पाठ्यक्रम की फीस को सालाना पांच लाख से घटाकर एक लाख किया गया है।
शुक्रवार को सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने फीस निर्धारण का शासनादेश जारी किया है। वहीं, सरकार ने नॉन क्लीनिकल पीजी पाठ्यक्रमों में बांड की व्यवस्था को समाप्त कर दिया है।
सरकारी मेडिकल कॉलेजों में नॉन क्लीनिकल पीजी पाठ्यक्रम एनाटॉमी, फिजियोलॉजी, बायो केमिस्ट्री, फार्माकोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन, माइक्रो बायोलॉजी व कम्युनिटी मेडिसिन संचालित किए जाते हैं।
मेडिकल कॉलेजों में सीटें खाली रह रही थीं
वर्ष 2013-14 में नॉन क्लीनिकल पाठ्यक्रम के लिए पांच लाख की फीस निर्धारित की गई थी। बांडधारी छात्रों के लिए 60 हजार रुपये और बिना बांड वाले छात्रों से पांच लाख की फीस ली जाती थी, लेकिन पाठ्यक्रमों में छात्रों की रुचि कम होने के कारण मेडिकल कॉलेजों में सीटें खाली रह रही थीं।
प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए नए सिरे से फीस का निर्धारित किया है। सरकार का माना है कि फीस कम होने से छात्र नॉन क्लीनिकल पीजी में प्रवेश के लिए प्रोत्साहित होंगे।