देहरादून। उत्तराखंड में पिछले सात महीने से बंद स्कूलों को खोलने पर आज कैबिनेट बैठक में फैसला हो जाएगा। पहले चरण में केवल 10वीं और 12वीं की कक्षाएं 20 अक्तूबर से शुरू हो सकती हैं। स्कूल खुलने को लेकर सभी जिलों से शिक्षकों और अभिभावकों की राय शासन जिलाधिकारियों के माध्यम से शासन तक पहुंची चुकी है।
प्रदेश में कोरोना संक्रमण को देखते हुए जहां कुछ अभिभावकों की ओर से स्कूल खोलने का विरोध हो रहा है, वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारी चाहते हैं कि 10वीं और 12वीं की कक्षाएं शुरू करा दी जाएं। इसकी एक अहम वजह यह है कि उत्तराखंड बोर्ड के छात्र-छात्राओं की हर साल जुलाई तक जमा होने जाने वाली एग्जाम फीस अब तक जमा नहीं हो पाई है और स्कूल खुले बिना फीस जमा होना मुश्किल है। समय पर फीस जमा न हुई तो बोर्ड परीक्षा कराने में दिक्कत आ सकती है।
प्रदेश में स्कूल खोले जाने को लेकर सरकार की ओर से सभी जिलाधिकारियों से रिपोर्ट मंगाई गई थी। विभागीय सूत्रों का कहना है कि शासन को जिलों से रिपोर्ट मिल चुकी है। जिसमें करीब 60 फीसदी अभिभावक 9 वीं से 12 वीं तक के छात्रों के लिए स्कूल खोलने के पक्ष में हैं।
छात्रृवत्ति पर मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक फिर होगी
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति और शुल्क के मसले पर मंत्रिमंडलीय उपसमिति की बैठक में कोई निर्णय नहीं हो पाया। उपसमिति की बैठक अब दो दिन बाद दोबारा होगी। विधानसभा में हुई बैठक में समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य, शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक व उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.धनसिंह रावत ने मंथन किया।
बैठक में मुख्य सचिव ओम प्रकाश भी शामिल हुए। मसला छात्रवृत्ति के बैकलॉक पूरा करने और सरकारी-गैरसकारी संस्थानों की फीस में एकरूपता न होने से प्रतिपूर्ति में आ रही कठिनाइयों का है।
सूत्रोें के अनुसार, सरकार ने जो शुल्क निर्धारित किया है, उसकी सरकारी स्कूल-कॉलेजों में तो समान रूप से प्रतिपूर्ति हो रही है, लेकिन निजी शिक्षण संस्थानों में अधिक शुल्क होने के कारण दिक्कत आ रही है। सूत्रों के मुताबिक, अब शुक्रवार को उपसमिति की दोबारा बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में महाधिवक्ता को भी बुलाया गया है।