उत्तराखंड में मौसम का बिगड़ा मिजाज बागवानी पर भारी पड़ रहा है। अप्रैल में ही ओलावृष्टि और अतिवृष्टि से फल-सब्जी की फसलों को 42 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान है। सरकार के निर्देश पर उद्यान विभाग की ओर से कराए आकलन में यह बात सामने आई है। इसके मुताबिक राज्य के नौ जिलों में फसलों को 10 से 50 फीसद तक क्षति पहुंची है। हालांकि, अब राजस्व विभाग से भी क्षति का ब्योरा मांगा गया है, ताकि इसके आधार पर प्रभावित किसानों को क्षतिपूर्ति की जा सके। इसके अलावा सरकार ने मई में ओलावृष्टि व अतिवृष्टि के साथ ही आंधी से बागवानी को पहुंची क्षति का आकलन कराने के भी निर्देश दिए हैं।
राज्य में मानसून के आगमन में अभी वक्त है, लेकिन इससे पहले ही मौसम के मिजाज ने फल-सब्जी उत्पादन से जुड़े किसानों के माथों पर चिंता की लकीरें ला दी हैं। अप्रैल में अतिवृष्टि व ओलावृष्टि से बागवानी को पहुंचे नुकसान को देखते हुए सरकार ने उद्यान विभाग से इसका आकलन कराया। विभाग की ओर से शासन को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार नौ जिलों में 9051.28 हेक्टेयर क्षेत्र में खड़ी फल-सब्जी की फसलों को नुकसान पहुंचा है।इसमें 5101.61 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 प्रतिशत से अधिक और 2196.90 हेक्टेयर में 50 फीसद से ज्यादा क्षेत्र प्रभावित हुआ है। कुल क्षति आंकी गई है 42.89 करोड़ रुपये। आपदा में फसल का 33 फीसद से अधिक नुकसान होने पर प्रभावित किसान को मुआवजा राशि दिए जाने का प्रविधान है। इस बीच मई में भी मौसम के बिगड़े मिजाज से बागवानी पर मार पड़ी है।
जिला, क्षति (लाख रुपये में)
टिहरी, 2950.62
नैनीताल, 958.26
उत्तरकाशी, 188.96
देहरादून, 87.75
पौड़ी, 46.84
चमोली, 31.80
अल्मोड़ा 11.65
पिथौरागढ़, 11.00
रुद्रप्रयाग, 2.54
मंत्री कृषि और कृषक कल्याण सुबोध उनियाल ने बताया कि राज्य में ओलावृष्टि, अतिवृष्टि और आंधी-तूफान से बागवानी को पहुंचे नुकसान का आकलन कराया जा रहा है। उद्यान विभाग से अप्रैल की रिपोर्ट मिल चुकी है और राजस्व विभाग से भी क्षति के आकलन की रिपोर्ट मांगी गई है। मई में हुए नुकसान का भी सर्वे कराया जा रहा है। आपदा के तय मानकों के अनुसार प्रभावित किसानों को क्षतपूर्ति की जाएगी।