देहरादून। केंद्र सरकार ने आपदा के दृष्टिकोण से संवेदनशील उत्तराखंड में किसानों को राहत दे दी है। प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों की भांति पर्वतीय क्षेत्रों में भी फसल कटाई आंकड़े जुटाने के लिए ग्राम पंचायत को इकाई मानने के प्रस्ताव पर केंद्रीय कृषि और कृषक कल्याण मंत्रालय ने मुहर लगा दी है। कृषि एवं कृषक कल्याण मंत्री सुबोध उनियाल के मुताबिक इससे राज्य के किसानों को बड़ी राहत मिल गई है। अब आपदा में फसल क्षति होने पर ज्यादा से ज्यादा किसानों को क्षतिपूर्ति मिल सकेगी। वजह ये कि आपदा में फसल क्षति होने पर इसका आकलन फसल कटाई आंकड़ों के आधार पर किया जाता है।
प्रदेश सरकार की ओर से फसल कटाई आंकड़े (क्राप कटिंग डाटा) जुटाने की व्यवस्था को एक समान पर जोर दिया जा रहा था। इस सिलसिले में केंद्र को प्रस्ताव भेजा गया था। कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को राज्य में प्रभावी बनाने के उद्देश्य से पर्वतीय क्षेत्र में धान, गेहूं जैसी फसलों के फसल कटाई आंकड़े ग्राम पंचायत स्तर पर जुटाने को सैद्धांतिक स्वीकृति दी है।
उन्होंने बताया कि राज्य के मैदानी क्षेत्रों में खरीफ-2021 से यह योजना लागू है। योजना के तहत राज्य में 50 प्रतिशत व्यय केंद्र सरकार वहन करेगी। उन्होंने कहा कि अब आपदा की स्थिति में फसल क्षति का सामयिक व सही मूल्यांकन हो सकेगा। इससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित होंगे।
वेतन मद में 9599 करोड़ खर्च
प्रदेश सरकार वेतन-भत्तों के मद में नवंबर माह तक कुल 16422.51 करोड़ में से 9599.90 करोड़ की राशि खर्च की जा चुकी है। यह बजट अनुमान का 58.46 प्रतिशत है। सरकार की ओर से बताया गया कि चालू वित्तीय वर्ष के शेष तीन महीनों का वेतन देना शेष है। वेतन खर्च की इस प्रवृत्ति को देखते हुए चालू वित्तीय वर्ष में वेतन आदि मद में बचत होनी संभावित है। ऐसे में दूसरी अनुपूरक मांगों के कारण बढ़े हुए खर्च को अतिरिक्त ऋण और संभावित बचतों की व्यवस्था कर पूरा किया जाएगा। सरकार ने द्वितीय अनुपूरक के अंतर्गत 668.36 करोड़ का प्रविधान संसाधन संबद्ध योजनाओं के अंतर्गत किया है। इसके अतिरिक्त 91.43 करोड़ का प्रविधान आकस्मिकता निधि की प्रतिपूति के अंतर्गत किया गया है।